23 मीटर तक गहराई में होंगे रैपिड अंडरग्राउंड स्टेशन
मेरठ सेंट्रल, भैंसाली और बेगमपुल हैं भूमिगत स्टेशन
मेरठ। रैपिड के लिए बनाए गए अंडरग्राउंड स्टेशनों में यात्रियों को सुविधाओं की भरमार मिलेगी। इसके अंतर्गत एनसीआरटीसी, आरआरटीएस कॉरिडोर पर बनाए जा रहे अपने भूमिगत स्टेशनों में यात्रा अनुभव को आरामदायक, सुरक्षित और सुखद बनाने के लिए प्रभावी एनवायरनमेंट कंट्रोल सिस्टम (ईसीएस) स्थापित कर रहा है।
यह सिस्टम भूमिगत स्टेशनों में निरंतर ताज़ी हवा, कूलिंग और वेंटिलेशन आवश्यकताओं को लगातार विनियमित करके अनुकूलित तापमान सुनिश्चित करेगा, ताकि यात्रियों को बेहतर से बेहतर यात्रा अनुभव मिल सके। एनसीआरटीसी अधिकारियों के अनुसार यह ईसीएस दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर के सभी चार भूमिगत स्टेशनों, दिल्ली में आनंद विहार और मेरठ में मेरठ सेंट्रल, भैंसाली और बेगमपुल में स्थापित किया जा रहा है। ये स्टेशन जमीन से 8 से 23 मीटर की गहराई पर बनाए जा रहे हैं। भूमिगत स्टेशनों में एलिवेटेड स्टेशनों की तुलना में सीमित वायु प्रवाह होता है। इन स्टेशनों में हवा की गुणवत्ता बेहतर बनाए रखने के लिए इस सिस्टम को बेहद आधुनिक बनाया जा रहा है। इन स्टेशनों में अनुकूलित तापमान और ताज़गी भरा वातावरण बनाए रखने के लिए उच्च-प्रदर्शन क्षमता वाले वाटर-कूल्ड चिलर भी लगाए जा रहे हैं। ये चिलर्स स्टेशन में नमी के स्तर को भी बनाए रखेंगे, जिससे यात्रियों के लिए आरामदायक यात्रा अनुभव सुनिश्चित होगा।
इतना ही नहीं, इस सिस्टम के तहत स्टेशनों में बेहतर वायु गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड के स्तरों की निगरानी भी की जाएगी, जिसके लिए स्टेशन के सार्वजनिक हिस्सों में सीओ 2 सेंसर लगाए गए हैं। यहाँ एक लॉजिक कंट्रोलर इस डेटा का विश्लेषण करेगा और स्टेशन में उचित वेंटिलेशन सुनिश्चित करते हुए आवश्यकतानुसार ताज़ी हवा के संचार को नियंत्रित करेगा।
एनसीआरटीसी ने प्रभावी ईसीएस की रणनीतिक योजना बनाने के लिए विभिन्न उपकरणों को अपनाया है।
मेरठ में, मेरठ सेंट्रल और भैंसाली भूमिगत स्टेशनों की लंबाई ज्यादा है, जबकि स्टेशन प्लेटफॉर्म सिर्फ 75 मीटर लंबे हैं। इस वजह से इन स्टेशनों में इस सिस्टम के तहत वातावरण को अनुकूलित बनाना चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन एनसीआरटीसी इस कार्य को प्रभावी ढंग से कर रहा है। यहाँ मेट्रो ट्रेनों और आरआरटीएस ट्रेनों के संचालन के लिए 4 ट्रैक बनाए गए है।
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