कहीं नोटों वाली कांवड़, तो कहीं कांधे पर दादा दादी
मेरठ की सड़कों पर कावड़ियों की अजब गजब तस्वीरें
मेरठ। कांवड़ यात्रा अब अपने अंतिम दौर में हैं। हरिद्वार से पवित्र गंगाजल उठाकर सभी शिव भक्तों कांवड़िए अब अपने अपने गंतव्य की ओर रवाना हो चुके हैं, जो कल विभिन्न शिवालयों पर भगवान शिव का अभिषेक करेंगे। इस कांवड़ यात्रा के दौरान मेरठ की सड़कों पर शिव भक्तों की अजब गजब तस्वीरे दिखी। कोई अपनी कांवड़ पर लाखों रुपए के नोट चिपका हुए था तो कोई अपने कंधो पर अपने दादा दादी को बैठाकर श्रवण कुमार की याद ताजा कर रहा था।
बुधवार को मेरठ में एक बड़ी कांवड़ गुजरी। दिल्ली के अनाज मंडी निवासी अजय कुमार की टीम द्वारा बनाई गई यह कांवड़ जब दिल्ली रोड (मेरठ) पर पहुंची तो देखने वालों का तांता लग गया। अजय की इस कांवड़ पर पांच-पांच सौ रुपए के डेढ़ लाख के नोट चिपके हुए थे। उधर दूसरी ओर मेरठ (मवाना) के रहने वाले सचिन अपने तीन भाइयों अनिल, सुनील और राहुल के साथ मिलकर अपने दादा दादी को अपने कंधो पर बिठाकर मेरठ पहुंचे। हरिद्वार से मेरठ तक का सफर इन्होंने 10 दिनों में तय किया। इस टीम में इन चारों भाइयों के अलावा शिवम, अभिषेक, कृष्णा, मोनू और कोई भी शामिल थे। सचिन ने अपने कांधे पर एक क्विंटल से ज्यादा वजन रखा था । इसमें 83 भविष्य सचिन की दादी समुंदरी देवी और दूसरे कांधे पर 85 वर्षीय दादा प्रेमचंद थे। इस कांवड़ यात्रा के दौरान युवाओं में नई परंपरा का चलन भी देखा गया है। कोई अपने माता-पिता तो कोई गुरुओं और अब दादा दादी को कांधे पर बैठाकर श्रवण कुमार की यादें ताजा कर रहे हैं। सचिन ने 10 दिनों में कुल 190 किलोमीटर का सफर पैदल तय किया। उनके दादा दादी समुंदरी देवी और प्रेमचंद कहते हैं कि उनकी इच्छा कांवड़ लाने की थी लेकिन अपनी जिंदगी में वह इस इच्छा को पूरा नहीं कर पाए लेकिन अब अपने पोतों द्वारा उनकी इच्छा पूरी होने के बाद वह बेहद खुश है। मेरठ की सड़कों पर इस समय शिव भक्तों का रैला है। बड़ी-बड़ी डीजे वाली कावड़ भी लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। शिव की धनु पर नाचने वाले यह शिव भक्त सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करते हुए भी नहीं थक रहे हैं।
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