लापता होने के चार दिन तक थानों के चक्कर काटते रहे परिजन, आखिरकार घर पहुंचा शव 

मेरठ। सरधना में हुए लाखन हत्याकांड में लाखन के परिजन चार दिन तक थानों और पुलिस अधिकारियों के यहां चक्कर काटते रहे। पुलिस मामले में कार्रवाई की बजाय सीमा विवाद में उलझी रही। परिजनों का आरोप है कि पुलिस समय रहते कार्रवाई करती तो लाखन की जान बच सकती थी।

लाखन सिंह कुछ समय पूर्व कंकरखेड़ा में लाइब्रेरी का संचालन करता था। जहां उसका एक युवती से प्रेम प्रसंग हो गया। युवती के परिजनों को मामले का पता चला तो उन्होंने लाखन काे जान से मारने की धमकी दी थी। जिसके बाद उसने लाइब्रेरी बंद कर गांव पोहल्ली में हाईवे पर एक ढाबा शुरू किया। साथ ही वह ऑनलाइन ट्रेडिंग भी करता था।इस दौरान युवती की शादी भी हो गई, लेकिन फिर भी दोनों के बीच प्रेम-प्रसंग चलता रहा। युवती जाट बिरादरी से थी। लाखन अनुसूचित जाति का होने से युवती के परिजन काफी आक्रोश में थे। उन्होंने कई बार अंजाम भुगतने की धमकी भी दी थी।लाखन की बड़ी बहन दीपिका ने बताया कि लाखन काे युवती ने फोन करते हुए बुलाया साथ नहीं आने पर जहर खाने की धमकी भी दी। मार्च के माह में दोनों घर से फरार हो गए थे। तीन दिन बाद दोनों को बरामद कर लिया गया। जिससे परिवारों में रंजिश बढ़ गई।

हालांकि दोनों के परिजनों ने सिम और मोबाइल लौटाकर मामले को निपटाने की बात कही थी। इस दौरान लाखन दिल्ली में अपनी बहन के यहां रहने लगा। परिजनों ने बताया कि लाखन एक जून को ही पोहल्ली में आया था। पांच जून को उसको फोन करते हुए बुलाया गया। इसके बाद लाखन की मुरादनगर क्षेत्र में ले जाकर हत्या कर दी।

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