बिजली विभाग के सस्पेंड जेई ने खाया जहर

निलंबित इंजीनियर पर पैसे लेकर कनेक्शन देने का आरोप, समर्थन में यूनियन का प्रदर्शन जारी

मेरठ। गंगोल बिजली घर में तैनात एक जेई ने विभाग द्वारा निलंबन किए जाने पर जहर का सेवन कर  लिया। गंभीर हालत में उसे मोदीपुरम स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हीं निलंबित जेई के समर्थन में विभाग के कर्मचारियों ने मुख्य अभियंता कार्यालय का घेराव कर अफसरों पर तमाम आरोप लगाए हैं। निलंबित जेई पर पैसा लेकर कनेक्शन देने का आरोप है। साथ ही चीफ मेरठ जोन पर पैसे लेकर ट्रांसफर पोस्टिंग का आरोप भी लगाया गया है।

राजेश कुमार  परतापुर गंगाेल में बिजली घर पर जेई के रूप में तैनात थे। वह परिवार समेत मोदीपुरम में रहते थे। गुरूवार को उन्होंने शुक्रवार की सुबह जहर का सेवन कर लिया। उनकी तबियत बिगड़ती देख परिजनो ने उन्हें मोदीपुरम स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया । जेई के जहर के सेवन की खबर विभाग के अधिकारियों में आग कर तरह फैल गयी।   भारी संख्या में जई यूनियन संगठन के कर्मचारी विद्युत विभाग के चीफ मेरठ जोन के कार्यालय में पहुंचे। इस दौरान संगठन के लोगों ने जमकर हंगामा करते हुए बताया कि विद्युत विभाग में बड़ा खेला चल रहा है। नीचे से ऊपर तक भ्रष्ट अधिकारी बैठे हुए।कर्मचारियों ने चीफ मेरठ जोन और अन्य अफसरों पर भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि बिजली विभाग में बिजली सप्लाई को लेकर बड़े भ्रष्टाचार हो रहे हैं। जबकि अफसर केवल हम लोगों पर एक्शन ले रहे हैं।

जूनियर इंजीनियर संगठन के पश्चिमांचल के सचिन आरए कुशवाहा ने बताया कि विभाग में बिना पैसा लिए कोई भी काम नहीं किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग के अधिकारी विभाग के कर्मचारियों ट्रांसफर पोस्टिंग और कनेक्शन के नाम पर मोटी रकम की डिमांड करते हैं जो अधिकारियों को रिश्वत नहीं देता, उसको या तो निलंबित कर दिया जाता है या उसका ट्रांसफर कर दिया जाता है।

इस दौरान सचिव आरए कुशवाहा ने बताया कि बिजली घर पर तैनात जेई राजेश कुमार 3 महीने पहले बहाल हुए थे और उनका चार दिन पूर्व ट्रांसफर कर दिया गया। उन्होंने अधिकारियों से कारण पूछा तो अधिकारियों ने उन पर गंभीर आरोप लगा दिए। जिसके चलते उन्होंने जहर खा लिया। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।संगठन के लोगों ने जमकर हंगामा करते हुए कहा कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वह पूरे पश्चिमांचल में एक आंदोलन छेड़ने के लिए मजबूर हो जाएंगे।उसके बाद भी किसी अधिकारी ने देखने की बात तो दूर, उनके बारे में जानकारी तक लेना भी उचित नहीं समझा। 

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