जनादेश के मायने
 इलमा अजीम 
आम चुनाव का जनादेश बेहद अप्रत्याशित रहा। इस जनादेश ने साफ किया है कि जनता लोकतंत्र में किसी भी दल को स्वच्छंद व्यवहार की अनुमति नहीं देती। वह लोकप्रहरी की भूमिका में आ जाती है। पिछले दो बार के आम चुनाव में लगातार भारी बहुमत से सत्ता में आई भाजपा इस बार अपने बूते पूर्ण बहुमत से दूर रह गई। वहीं कांग्रेस नीत इंडिया गठबंधन ने इन चुनावों में उम्मीदों से कहीं ज्यादा सफलता हासिल की। यहां तक कि अब कांग्रेस को लोकसभा में विधिवत विपक्षी नेतृत्व का अधिकार मिलेगा। बहरहाल ‘इंडिया’ गठबंधन ने अपनी जीत से देश को चौंका दिया है। भाजपा को सबसे बड़ा झटका उप्र में लगा, जहां वह 70 से अधिक सीटें जीतने की रणनीति पर काम कर रही थी, लेकिन उसका यह प्रयास बेकार ही गया। उप्र ने भाजपा की स्पष्ट जीत के तमाम समीकरण उलट दिए हैं। पार्टी नेतृत्व समझ ही नहीं पा रहा है कि आखिर उप्र में ऐसा झटका क्यों लगा? उप्र के अलावा पश्चिम बंगाल में ‘दीदी’ का करिश्मा एक बार फिर चला और भाजपा सबसे शानदार जीत हासिल करने में नाकाम रही है। राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों में भी, भाजपा के लिए, खूब उलटफेर हुए। तमिलनाडु और पंजाब में तो भाजपा ‘शून्य’ रही है। आंध्रप्रदेश में तेलुगूदेशम पार्टी-भाजपा गठबंधन को विधानसभा में प्रचंड बहुमत मिला है, लिहाजा नए मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू होंगे। बेशक गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड आदि राज्यों में भाजपा ने लगभग ‘क्लीन स्वीप’ किया है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा पहली बार बहुमत हासिल करने में नाकाम रही है। अब भाजपा आत्ममंथन करेगी कि अयोध्या वाली संसदीय सीट पर उसका प्रत्याशी क्यों पराजित हो गया? क्या राम मंदिर से अधिक प्रभाव अन्य जातियों और मुद्दों का रहा? बहरहाल अकेली भाजपा न तो 370 का लक्ष्य हासिल कर पाई और 400 पार तो बहुत दूर की कौड़ी है। गौरतलब यह है कि टीडीपी की 16 और जदयू की 14 सीटें एनडीए और मोदी सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने चंद्रबाबू नायडू से फोन पर बात की है। शरद पवार भी नायडू और नीतीश के संपर्क में बताए जाते हैं। क्या तोडफ़ोड़ का खेल शुरू हो गया है? क्या यह अनिश्चितता केंद्र सरकार की स्थिरता पर सवाल साबित हो सकती है? 2024 के जनादेश ने साबित किया है कि कांग्रेस इस देश से कभी भी खत्म नहीं की जा सकती। बहरहाल, कोई जीता, कोई हारा, लेकिन भारत देश का सबसे बड़ा लोकतंत्र निर्विवाद रूप से विजयी रहा। लोकसभा चुनाव का एक संदेश यह भी है कि आम आदमी पार्टी के पक्ष में सहानुभूति की कोई लहर नहीं चली। दिल्ली में सभी सात सीटें भाजपा जीत रही थी, जबकि पंजाब में भी आप कुछ खास नहीं कर पाई।

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