स्वस्थ जीवनशैली उम्र में कर सकती है इजाफा
- मुकुल व्यास
स्वस्थ जीवनशैली उम्र पर आनुवंशिकी के प्रभाव को 60 प्रतिशत से अधिक कम कर सकती है और आपके जीवन में पांच साल और जोड़ सकती है। यह बात अच्छी तरह से स्थापित है कि कुछ लोगों में आनुवंशिक कारणों से कम जीवनकाल की प्रवृत्ति होती है। यह भी सर्वविदित है कि जीवनशैली से जुड़ी कुछ बातें, विशेष रूप से धूम्रपान, शराब का सेवन, आहार और शारीरिक गतिविधि, दीर्घायु पर प्रभाव डाल सकती हैं। अभी तक यह समझने के लिए कोई जांच नहीं हुई थी कि एक स्वस्थ जीवनशैली आनुवंशिकी को किस हद तक संतुलित कर सकती है। लेकिन अब कई-कई दीर्घकालिक अध्ययनों के निष्कर्ष सामने आए हैं जिससे पता चलता है कि एक स्वस्थ जीवनशैली जीवन को छोटा करने वाले जीन के प्रभावों को 62 प्रतिशत तक कम कर सकती है और आपके जीवन में पांच साल तक बढ़ा सकती है।


दरअसल, इन अध्ययनों के परिणाम बीएमजे एविडेंस-बेस्ड मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अध्ययन जीवनकाल पर आनुवंशिक कारकों के प्रभाव को कम करने में स्वस्थ जीवनशैली की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। उनका यह भी मानना है कि जीवनशैली में सुधार के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियां पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए पूरक के रूप में काम कर सकती हैं। मानव जीवन पर आनुवंशिक कारकों के प्रभाव को कम कर सकती हैं।

एक अध्ययन में यूके बायोबैंक में 353,742 लोगों को शामिल किया गया। इस अध्ययन से पता चला कि उच्च आनुवंशिक जोखिम वाले लोगों में कम आनुवंशिक जोखिम वाले लोगों की तुलना में समय से पहले मृत्यु का खतरा 21 प्रतिशत अधिक होता है, भले ही उनकी जीवनशैली कुछ भी हो। इस बीच, चीन में झेजियांग यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन और एडिनबरा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि अस्वास्थ्यकर जीवनशैली वाले लोगों में जल्दी मौत की संभावना 78 प्रतिशत बढ़ जाती है, भले ही आनुवंशिक जोखिम जो भी हो। अध्ययन में कहा गया है कि अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और कम जीवनकाल के जीन वाले लोगों में भाग्यशाली जीनों और स्वस्थ जीवनशैली वाले लोगों की तुलना में समय पूर्व मौत का खतरा दोगुना हो जाता है।

हालांकि, शोधकर्ताओं ने पाया कि कम उम्र या समय से पहले मौत के आनुवंशिक जोखिम को स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर लगभग 62 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। उनका कहना है कि उच्च आनुवंशिक जोखिम वाले लोग स्वस्थ जीवनशैली के साथ 40 वर्ष की आयु में लगभग 5.22 वर्ष की जीवन प्रत्याशा बढ़ा सकते हैं। लंबे जीवन के लिए आदर्श जीवनशैली में धूम्रपान न करना, नियमित शारीरिक गतिविधि, पर्याप्त नींद और स्वस्थ आहार शामिल हैं। शोधकर्ताओं ने अध्ययन में औसतन 13 वर्षों तक लोगों का अनुसरण करने के बाद अपने निष्कर्ष निकाले हैं। विश्व कैंसर अनुसंधान कोष में स्वास्थ्य सूचना और प्रचार प्रबंधक मैट लैम्बर्ट ने कहा कि इस नए शोध से पता चलता है कि आनुवंशिक कारकों के बावजूद स्वस्थ जीवनशैली जीने से हमें लंबे समय तक जीने में मदद मिल सकती है।

एक अन्य अध्ययन से पता चलता है कि व्यायाम के कारण शरीर के भीतर होने वाली प्रतिक्रिया कहीं ज्यादा जटिल और दूरगामी होती है। अमेरिका के वैज्ञानिकों के नए अध्ययन में पता लगाया है कि शारीरिक गतिविधियों के कारण जानवरों के सभी 19 अंगों में कई तरह के कोशिकीय और आणविक परिवर्तन होते हैं। व्यायाम कई बीमारियों के खतरे को कम करता है, लेकिन वैज्ञानिक अभी भी पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं कि व्यायाम शरीर को आणविक स्तर पर कैसे बदलता है। अधिकांश पिछले अध्ययनों ने एक ही अंग या लिंग पर ध्यान केंद्रित किया और इनमें सिर्फ एक या दो तरह के डेटा शामिल किए किए।

व्यायाम के जीव विज्ञान पर अधिक व्यापक नजर डालने के लिए अमेरिका के मॉलिक्यूलर ट्रांसड्यूसर ऑफ़ फिजिकल एक्टिविटी कंसोर्टियम के वैज्ञानिकों ने चूहों में शारीरिक गतिविधि से होने वाले आणविक परिवर्तनों का विश्लेषण करने के लिए प्रयोगशाला में तकनीकों की एक शृंखला का उपयोग किया। ये चूहे कई हफ्तों तक गहन व्यायाम के दौर से गुजरे थे। वैज्ञानिकों के दल ने जानवरों के हृदय, मस्तिष्क और फेफड़ों जैसे अंगों के ऊतकों की एक शृंखला का अध्ययन किया। उन्होंने देखा कि प्रत्येक अंग व्यायाम के साथ बदलाव देखा गया। इससे शरीर को प्रतिरक्षा प्रणाली को विनियमित करने और तनाव का जवाब देने में मदद मिली।

वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि व्यायाम लीवर, हृदय रोग और ऊतक की चोट से जुड़े मार्गों को नियंत्रित करने में भी मददगार साबित हुआ। विज्ञानियों द्वारा एकत्र डेटा से मानव स्वास्थ्य की अलग-अलग स्थितियों के बारे में महत्वपूर्ण सुराग मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए, शोधकर्ताओं ने इस बात का संभावित स्पष्टीकरण पाया कि व्यायाम के दौरान लीवर कम फैटी क्यों हो जाता है। इससे अल्कोहल के सेवन के बगैर होने वाले फैटी लीवर रोग के लिए नए उपचार के विकास में मदद मिल सकती है।

टीम को उम्मीद है कि उनके निष्कर्षों का उपयोग एक दिन किसी व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति के अनुरूप व्यायाम निर्धारित करने या व्यायाम करने में असमर्थ लोगों के लिए शारीरिक गतिविधि के प्रभावों के अनुसरण करने वाले उपचार विकसित करने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने व्यायाम के आणविक प्रभावों को ट्रैक करने के लिए लोगों पर अध्ययन पहले ही शुरू कर दिया है। व्यायाम के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए अमेरिकी वैज्ञानिकों का कंसोर्टियम 2016 में स्थापित किया गया। इसमेें एमआईटी, हार्वर्ड, स्टेनफर्ड यूनिवर्सिटी और नेशनल इंस्टिट्यूट्स ऑफ हैल्थ जैसे अनेक अग्रणी संस्थानों के वैज्ञानिक शामिल हैं। कुल मिलाकर विज्ञानियों ने रक्त और 18 ठोस ऊतकों पर लगभग 1.5 करोड़ माप लेने के लिए लगभग 10,000 परीक्षण किए। उन्होंने पाया कि व्यायाम ने हजारों अणुओं को प्रभावित किया। एड्रिनल ग्रंथि में सबसे चरम परिवर्तन देखे गए।


ध्यान रहे कि एड्रिनल ग्रंथि कुछ खास हार्मोन का उत्पादन करती है जो प्रतिरक्षा, मेटाबोलिज्म (चयापचय) और ब्लड प्रेशर जैसी कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। शोधकर्ताओं ने कई अंगों में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से संबंधित लिंग अंतर को भी उजागर किया। मादाओं के मामले में इम्यून रिस्पॉन्स का संकेत देने वाले अणुओं ने एक और दो सप्ताह के प्रशिक्षण के बीच स्तर में परिवर्तन दिखाया जबकि नर में चार और आठ सप्ताह के बीच अंतर देखा गया।

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