रईसी की हेलीकॉप्टर क्रैश हत्या थी या हादसा!

 क्या लेजर से बनाया गया रईसी के हेलीकॉप्टर को निशाना!

ईरान,एजेंसी।इब्राहिम रईसी की हत्या हुई है या हेलीकॉप्टर क्रैश महज एक हादसा था इसकी गुत्थी उलझती जा रही है। अकेले ईरान नहीं बल्कि रूस, तुर्की की सुरक्षा एजेंसियां भी रईसी की मौत का रहस्य सुलझाने में जुटी हैं।

हत्या थी या हादसा यह रहस्य गहराता जा रहा है. रईसी की मौत को लेकर अब जो नई थ्योरी सामने आई है उससे अमेरिका और इजराइल पर शक और बढ़ गया है। दावा ये किया जा रहा है कि रईसी के हेलीकॉप्टर पर लेजर से अटैक किया गया था। आधिकारिक तौर पर भले ही इस बारे में ईरान की ओर से कुछ नहीं कहा गया। लेकिन माना ये जा रहा है कि ईरान की सुरक्षा एजेंसियां इस दिशा में भी काम कर रही हैं।

 प्राथमिक तौर पर भले ही इसे मौसम की वजह से हुआ हादसा माना जा रहा है, हालांकि ईरान किसी भी एंगल से इनकार नहीं कर रहा। अजरबैजान जहां से हेलीकॉप्टर उड़ा उसे इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद का गढ़ माना जाता है। इस वजह से मोसाद पर शक की सुई अटकी थी। अब लेजर हथियार से अटैक का दावा किए जाने के बाद अमेरिका को भी शक की नजर से देखा जा रहा है।

क्या होते हैं लेजर हथियार?

दुनिया में कई देशों की मिलिट्री लेजर हथियार पर काम कर रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका समेत कुछ देश इसमें सफलता पा चुके हैं। यह लेजर हथियार जमीन और समुद्र के अलावा स्पेस से भी दागे जा सकते हैं। जो हाई एनर्जी से लैस होते हैं और मिसाइल के मुकाबले काफी सस्ते और सुरक्षित माने जाते हैं। दरअसल लेजर हथियार फोटॉन लाइट पार्टिकल्स से जनरेट होते हैं। हाई एनर्जी से लैस होने की वजह से यह किसी भी टारगेट को कुछ पल में ध्वस्त कर सकते हैं। अगर मिसाइल से हमला किया जाता है तो कहीं न कहीं साक्ष्य मिल जाता है, मगर लेजर से हमला करने पर सबूत मिलने की संभावना न के बराबर होती है।

कैसे होता है हमला?

लेजर हथियार से रॉकेट्स, फाइटर जेट, हेलीकॉप्टर और ड्रोन सभी को निशाना बनाया जा सकता है। यह एक व्हीकल में फिट किए जा सकते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसी साल फरवरी में अमेरिका ने ऐसे चार सिस्टमों की टेस्टिंग की थी। इसके अलावा यह हथियार स्पेस से भी दागे जा सकते हैं। हालांकि ऐसी तकनीक अमेरिका के पास अभी है या नहीं इसकी पुष्टि आधिकारिक तौर पर अभी तक नहीं हो सकी है।

लेजर थ्योरी में कितना दम? एक्सपर्ट ने बताया

मेजर जनरल पीके सहगल कहते हैं कि मैंने इस तरह के मौसम में पहाड़ियों में हेलीकॉप्टर उडाने का काम किया है। मैं यह दावे के साथ कह सकता हूँ कि जैसा मौसम और जिस तरह के क्षेत्र में यह घटना हुई उस जगह लेजर के इस्तेमाल से हेलीकॉप्टर को निशाना बनाना प्रैक्टिकली पॉसिबल नहीं है। हां थ्योरिटिकली ये संभव है कि लेजर से उड़ते हेलीकॉप्टर को निशाना बनाया जा सकता है। ऐसी तकनीक आज के समय उपलब्ध है लेकिन इसके लिये मौसम का अनुकूल होना बहुत जरूरी होता है।

यदि इस बात की योजना पहले से बनाई गई होगी और हमला करने वाले को पहले से हेलीकॉप्टर के गुजरने वाले रूट की जानकारी रही हो उसके बाद भी मौसम और जिस जगह पर ये घटना हुई उससे यह संभव नहीं लगता कि ये बाहरी हमला या लेज़र हमला से संभव है। एक संभावना ये हो सकती थी कि हवा से ही लेज़र हमला किया गया हो लेकिन क्रैश के दिन उस जगह पर कोई और विमान उड़ा ही नहीं तो ये थ्योरी भी संभव नहीं दिखता है। मैं अभी भी कहता हूँ कि इस क्रैश के पीछे ईरान के अंदरूनी तंत्र ही हो सकते हैं।

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