सुभारती में हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन
पत्रकारिता में भाषायी मर्यादा जरूरी-डॉ. बलदेव राज गुप्ता
हिन्दी पत्रकारिता ने आजादी की अलख जगाई
पत्रकारों को फैक्ट से नहीं डरना चाहिए बल्कि उसे मुखर होना चाहिए
मेरठ। हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर सुभारती पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित संगोष्ठी में बोलते हुए सुप्रसिद्ध प्रोफेसर एवं पत्रकार डॉ. बलदेव राज गुप्ता ने कहा कि देश को आजाद कराने में हिन्दी पत्रकारिता का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि आज से 198 वर्ष पूर्व कलकत्ता से पंडित जुगल किशोर शुक्ल द्वारा इतिहास रचा गया, जब उन्होंने हिन्दी का साप्ताहिक अखबार "उदन्त मार्तण्ड" को कलकत्ता जैसे शहर से शुरू किया था। यह उनका एक सामाजिक समर्पण था क्योंकि उस समय वे कंपनी शासन के अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज को हिन्दी अखबार के माध्यम से बुलंद किया। उस समय अखबार का उद्देश्य सामाजिक मुद्दों को लेकर आगे बढ़ना था। अखबार एक मिशन का था ना कि प्रोफेशन।
डॉ. गुप्ता ने पत्रकारिता के विद्यार्थियों से रूबरू होते हुए कहा कि पत्रकार को फैक्ट से नहीं डरना चाहिए। उनकी लेखनी ऐसी हो कि एक पैरा के समाचार में बहुत सूचनाएं समाहित हों। आज सोशल मीडिया के दौर में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को चुनौती मिल रही है, लेकिन तब भी इनका वजूद बरकरार है। उन्होंने कहा कि आज हिन्दी पत्रकारिता में भाषा ह्रास हुआ है। जबकि पत्रकारिता में भाषा की मर्यादा पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। उन्होंने भारतेंदु युग को याद करते हुए कहा कि हिन्दी पत्रकारिता का सर्वाधिक विकास इसी काल में हुआ जिसका उद्देश्य देश की पराधीनता के खिलाफ आम आदमी को जागरित करना था। प्रोफेसर गुप्ता ने इस बात पर अफसोस जताया कि हिन्दी पत्रकारिता का उदय सामाजिक उद्देश्यों को लेकर आगे बढ़ा था, लेकिन आज ये राजनैतिक पेंच में फंसकर रह गया है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में पहचान बनाने के लिए पत्रकार को मुखर होना चाहिए और सत्य का अनुसरण करना चाहिए। डॉ. गुप्ता ने कहा कि पत्रकार को सही सूचना अपने सूत्रों से प्राप्त करनी चाहिए और सूत्रों को कभी भी उद्घाटित नहीं करना चाहिए।
भारतीय प्रेस परिषद(पीसीआई) के वर्तमान सदस्य प्रोफेसर बलदेव राज गुप्ता ने कहा कि यदि पत्रकार को कहीं से भी धमकी या दबाव दिया जाता है तो इसकी शिकायत उन्हें प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को करनी चाहिए। इसी तरह यदि कोई पत्रकार ब्लैकमेलिंग या दबाव की राजनीति करता है तो उसके खिलाफ भी प्रेस कांउसिल में शिकायत की जा सकती है।
इससे पहले विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) सुभाष चंद्र थलेड़ी द्वारा डॉ. गुप्ता को विश्वविद्यालय की ओर से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर गुप्ता आज पत्रकारिता शिक्षण के जनक हैं। उन्होंने साल 1973 में देश के प्रसिद्ध काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में पत्रकारिता प्राध्यापक के रूप में अपने शिक्षण करियर की शुरूआत की और 2003 में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त हुए। आज भी वे पत्रकारिता शित्रण के क्षेत्र में सक्रिय हैं। यही नहीं प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य के रूप में वे आज भी पत्रकारों के हितों की पैरवी करते हैं।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के संस्कृति विभाग के कुलदीप नारायण समेत प्रो. अशोक त्यागी, डॉ. मनोज त्रिपाठी, डॉ. नेहा वर्मा, डॉ. सीमा शर्मा, डॉ. प्रीति सिंह, डॉ. शोभा रतूड़ी, डॉ. मानस कांडी, डॉ. अमित कुमार, डॉ. अमृता चौधरी, डॉ. अर्चना पंवार, राम प्रकाश तिवारी, मधुर शर्मा, शैली शर्मा आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन बीएजेएमसी के छात्र नितेश तिवारी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रीति सिंह ने किया।
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