पीरियड फेस्ट का आयोजन 

 शिक्षा ही बदल सकती है मानसिकता -सीडीओ 

एक समाज के रूप में इसे अपमानित करने से पहले हमें माहवारी के महत्व को गहराई से उसे समझना होगा - कुलपति सीसीएसयू 

  रैली में शहर के 17 स्कूलों की छात्राओं व शिक्षिकाओं ने रैली में लिया भाग 

 मेरठ। पीरियड अवेयरनेस कार्यक्रम के तहत गुरूवार को एसबीआई फाउंडेशन ,सच्ची सहेली व जिला प्रशासन के तत्वावधान में  पीरियड फेस्ट रैली का आयोजन किया गया। रैली का शुभारंभ सीडीओ व सीसीएस की कुलपति ने किया। रैली में शहर के 17 स्कूलों की छात्राओं व शिक्षिकाओं ने इसमें शिरकत की।  पीरियड फेस्ट  का मकसद  माहवारी से जुड़ी शर्म और भ्रतियों को तोड़ा जा सके।

 रैली का शुभारंभ तेजगढ़ी स्थित कृष्णा प्लाजा से सीडीओ नूपुर गोयल व कुलपति प्रो़ संगीता शुक्ला ने किया। जागरूकता रैली तेजगढी से होते ही विवि में समाप्त हुई। रैली के दौरान स्कूल की छात्राए हाथ में पीरियड जागरूकता के बैनर व पोस्टर लिए हुए थी। 

इस मौके पर  विवि की कुलपति प्रो़. संगीता शुक्ला ने कहा अधिकतर परिवारों में आज भी मासिक धर्म आने को सही तरीके से नहीं देखा जाता। यही वजह है कि बच्चियां इस बारे में बात करने से झिझकती हैं।बताया कि सेनेटरी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने के साथ ही सेहत के प्रति सतर्कता बरतनी होती है।जिन लोगों को इस बारे में सही जानकारी है, उन्हें दूसरों को भी बताने की जरूरत है। 

जरूरी है इस विषय पर खुलकर बात करना

 सीडीओ नूपुर गोयल ने बताया  महिलाओं के लिए इस सामान्य और जीवन बदल देने वाले अनुभव के बारे में बात करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे समाज में माहवारी गोपनीयता में लिपटा रहता है। माहवारी केवल एक जैविक क्रिया नहीं है। यह ताकत और जीवन देने के लिए महिला शरीर की जन्मजात क्षमता का एक शक्तिशाली प्रतीक भी है। महिलाओं को वास्तव में सशक्त बनाने के लिए हमें माहवारी के बारे में लंबे समय से चली आ रही गलत धारणाओं को तोड़ना होगा और एक ऐसी कहानी बनानी होगी जो महिला होने के इस आवश्यक हिस्से का सम्मान करती हो।एक समाज के रूप में इसे अपमानित करने से पहले हमें माहवारी के महत्व को गहराई से उसे समझना होगा। 

आइए महावारी चक्र को जीवन के नाटक के रूप में स्वीकार करें, जो अस्तित्व उतार-चढ़ाव को दर्शाता है और इसे छाया में कम करना बंद करें। विमर्श को नए सिरे से पेश करके हम महिलाओं को शर्म की जंजीरों से मुक्त करके उन्हें सशक्त बनाने और एक बार सांस्कृतिक क्रांति की शुरुआत करने की उम्मीद करते हैं जो माहवारी को ताकत, एकता और अनेक सशक्तिकरण के स्रोत के रूप में देखती है।समावेशी और पारदर्शी परिवर्तनकारी बातचीत आवश्यक हैं।

शिक्षा ही बदल सकती है मानसिकता 

 माहवारी चक्र एक सामान्य मानवीय अनुभव है जो केवल महिलाओं को ही नहीं बल्कि सभी लोगों को प्रभावित करता है। हम एक  चुप्पी की बाधाओं को तोड़ सकते हैं और एक ऐसा स्थान स्थापित कर सकते हैं जहां पुरुष और महिलाएं खुली बातचीत करके एक-दूसरे से सीख सकें, समझ सकें और एक-दूसरे का समर्थन कर सकें। यह समावेशिता सहानुभूति को प्रोत्साहित करती है और इस मिथ्या को दूर करती है कि माहवारी के बारे में बात करने से बचना चाहिए या धीमी आवाज में चर्चा करनी चाहिए। इस मौके पर सच्ची सहेली फाउंडर डा. सुरभि ,तान्या वर्मा ,रीतिका नरूला, सीमा राणा , फिरदोस खान आदि मौजूद रहे। 




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