टिकट न मिलने से ठाकुर चौबीसी में नाराजगी 

गाव में कमल का फूल हमारी भूल, के लगे पोस्टर 

 पंचायत में हुआ जमकर हंगामा , 

मेरठ।लोकसभा चुनाव के पहले चरण का नामांकन पूरा होते ही मेरठ में भाजपा का विरोध शुरू हो गया है। मेरठ में पड़ने वाली मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट की विधानसभा सरधना में ग्रामीणों ने पोस्टर लगाए हैं। कमल का फूल हमारी भूल लिखकर पोस्टर गांव में लगाए गए हैं। पोस्टर से भाजपाइयों में हलचल है। ठाकुरों के गांव ठाकुर चौबीसी में इसका सबसे ज्यादा विरोध जताया जा रहा है। क्षत्रियों को टिकट न मिलने से ठाकुर नाराज हैं।

सरधना में ठाकुर चौबीसी और खेड़ा गांव में भाजपा का विरोध शुरू हो गया है। सरधना विधानसभा मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट में आती है। मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से तीसरी बार भाजपा के टिकट पर सांसद संजीव बालियान चुनाव लड़ रहे हैं। खेड़ा में हुए विरोध के बाद से ठाकुरों में उनके प्रति आक्रोश बढ़ रहा है। हाल ही में सांसद संजीव बालियान ने खेड़ा गांव में चुनावी सभा की थी।

चौबीसी के गांव खेड़ा, नाहली, कुशावली, आक्खेपुर, सलावा, और राड़धना समेत कई गांवों में ये पोस्टर लगाए गए। गुरुवार सुबह लोगों ने पोस्टर देखे तो कुछ ही समय में यह सोशल मीडिया की सनसनी बन गए। वहीं गांवों में ठाकुरों की बैठक भी हुई, जिसमें बिरादरी की तरफ से विरोध जताया गया। उनका कहना है कि ठाकुर के नब्बे प्रतिशत वोट भाजपा को पड़ते है। लेकिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने ठाकुरों की अनदेखी की है। मुरादाबाद को छोड़कर वेस्ट के किसी जिले में ठाकुर प्रत्याशी को लोकसभा को टिकट नहीं दिया गया है। 

जिलाध्यक्ष के गांव में लगे पोस्टर

हैरत की बात तो ये है कि राड़धना गांव में भाजपा के जिलाध्यक्ष शिवकुमार राणा का घर है। आक्खेपुर से जिला पंचायत सदस्य सुनील प्रधान भी भाजपा नेता हैं। उनके गांव में भी पोस्टर चस्पा होना कौतूहल का विषय बन गया। सूचना जिला कमेटी को हुई तो जिलाध्यक्ष के गांव में लगे पोस्टर को हटवा दिया गया।

देर शाम बुलाई पंचायत

सलावा गांव में गुरुवार शाम को एक पंचायत हुई, जिसमें सभी गांवों से वरिष्ठ लोगों को बुलाया गया । पंचायत में टिकट न मिलने का ठाकुर समाज द्वारा विरोध जताया गया। इसी बीच जिला पंचायत सदस्य सुनीन वहां पर पहुंचे । लोगों से विरोध न करने की बात कहने लगे। यही पर ठाकुर समाज के लोगों का गुस्सा भड़क गया। काफी देर तक गहमा गहमी होती रही। नौबत मारपीट तक पहुंच गयी। लेकिन पंचायत में कुछ बुजुर्गाें ने किसी तरह लोगों को समझाकर मामले काे शांत कराया। 



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