जल है तो कल है!
 इलमा अजीम 
जलाशय, बावडिय़ां, कुएं, हैंड पंप तथा विभागीय आपूर्ति स्रोतों का रखरखाव जरूरी होने के साथ इनके इर्द-गिर्द पसरती गंदगी को रोकने के लिए समुदाय को ही चौकन्ना होना पड़ेगा। वैदिक संस्कृति में जल का महत्व आचमन से लेकर वृष्टि यज्ञ तक है। जल के बिना जीवन संभव नहीं है। हमारी संस्कृति में जल को देवता कहा गया है। धार्मिक अनुष्ठान, विवाह आदि मांगलिक कार्य जल पूजन से ही शुरू होते हैं। शुद्ध पेयजल महा औषधि बनकर शरीर को स्वस्थ रखता है। इस वर्ष 2024 का थीम ‘वॉटर फॉर पीस’ है। जल क्षेत्र में तेजी और तत्कालीनता के साथ-साथ शांति के लिए जल के महत्व को समझना इसलिए आवश्यक है क्योंकि धरती पर मौजूद हर प्राणी पानी पर निर्भर है। समाज में जागरूकता के लिए सामुदायिक आंदोलन चलाया जाने की जरूरत है। इसी जरूरत को देखते हुए बाईस मार्च विश्व जल दिवस, जल के लिए जागरूक करने के लिए मुकर्रर किया गया है। यह एक और अवसर यह समझने के लिए है कि पानी के बिना जीवन संभव नहीं। दुनिया की आधी जनसंख्या अभी भी पर्याप्त एवं अशुद्ध जल की समस्या से जूझ रही है। पानी की उपलब्धता और इसकी गुणवत्ता की ओर विश्व भर में जल प्रबंधन से संबंधित जल वैज्ञानिक, इंजीनियर, समाज सुधारक, प्रशासक एवं जल योद्धा इस विकट समस्या के समाधान के लिए प्रयत्नशील हैं। संयुक्त राष्ट्र की आम सभा ने 1992 में हर वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाने का संकल्प प्रत्येक जनमानस को पानी के लिए जागरूक करने के लिए लिया है। जल वैज्ञानिकों एवं विचारकों का मत है कि जल की उपलब्धता निरंतर कम हो रही है, और जल का उपयोग करने वाले निरंतर बढ़ रहे हैं। फलस्वरूप प्राणियों में जल संकट की स्थिति बन रही है। जल संसाधन के अनुचित प्रयोग से सारा संसार चिंतित है। अगर इसी तरह जल की बर्बादी का प्रचलन रहा तो जल की कमी के कारण न केवल अनाज बल्कि दूसरी वनस्पतियां भी प्रभावित हो जाएंगी। पानी से लबालब दिखने वाली पृथ्वी पर सचमुच में लगभग एक प्रतिशत से भी कम मृदु जल है, जो झीलों, तालाबों, नदियों एवं भूमिगत जल के रूप में उपलब्ध है। इसलिए पानी की बूंद-बूंद को बचाने के लिए सजग होना पड़ेगा। पानी की कमी न केवल भारत देश में हो रही है, बल्कि पूरे संसार में इसकी कमी से हाहाकार मचा हुआ है। अगर हम पानी की कमी की बात करें तो पानी का गंभीर संकट झेलने वाले प्रमुख देश अपने क्रम के अनुसार कतर, इजरायल, लेबनान, ईरान, लीबिया, कुवैत, सऊदी अरब, यूएई, बहरीन, भारत, पाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ओमान हैं। इस वर्ष 2024 का थीम ‘वॉटर फॉर पीस’ है। जल क्षेत्र में तेजी और तत्कालीनता के साथ-साथ शांति के लिए जल के महत्व को समझना इसलिए आवश्यक है क्योंकि धरती पर मौजूद हर प्राणी पानी पर निर्भर है। जल के प्रति समाज को जागरूक करने के लिए सामुदायिक आंदोलन की जरूरत है।

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