क्षय रोगी नियमित रूप से दवा खाएं और परिजनों की जांच कराएं : डीटीओ
- रेडिको खेतान की ओर से साथी फाउंडेशन ने 30 क्षय रोगी गोद लिए
- बम्हेटा सीएचसी पर आयोजित किया गया एडॉप्शन कार्यक्रम
- टीबी रोगियों के लिए जरूरी योग के बारे में भी दी गई जानकारी
गाजियाबाद, 16 फरवरी, 2024। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर शुक्रवार को रेडिको खेतान की ओर से साथी फाउंडेशन ने 30 क्षय रोगियों को और गोद लिया। फाउंडेशन की संस्थापक सदस्य - सचिव काजल छिब्बर और जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. अमित विक्रम ने गोद लिए गए क्षय रोगियों को पुष्टाहार प्रदान किया। बता दें कि साथी फाउंडेशन नियमित रूप से क्षय रोगियों को गोद लेकर सामाजिक और भावनात्मक सहयोग के साथ ही पुष्टाहार भी उपलब्ध करा रही है।
इस मौके पर जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. अमित विक्रम ने क्षय रोगियों को नियमित रूप से दवा खाते रहने और परिजनों की भी टीबी जांच कराते रहने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया - फेफड़ों की टीबी संक्रामक होती है, यह सांस के जरिए फैलती है, इसलिए अधिक समय तक संपर्क में रहने वालों को भी संक्रमण का खतरा रहता है। अपनों को संक्रमण से बचाने के लिए क्षय रोगी मास्क का प्रयोग करें और परिजनों की टीबी जांच भी अवश्य कराएं। उन्होंने क्षय रोगियों से कहा - आपको जो पुष्टाहार दिया गया है, उसका स्वयं ही प्रयोग करें। इसके साथ ही निक्षय पोषण योजना के तहत मिलने वाली राशि को भी पौष्टिक भोजन पर खर्च करें। टीबी की दवा के साथ उच्च प्रोटीन और विटामिन युक्त भोजन लेना आवश्यक है।
कार्यक्रम में सीएचसी पर तैनात त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. दीपांकर ने रोगियों को बताया - अपना तोलिया और कपड़े अलग रखकर से त्वचा रोगों से बचाव कर सकते हैं। इसके साथ ही हाथ धोने वाले साबुन का इस्तेमाल कदापि नहाने के लिए न करें, इससे त्वचा खराब होती और व्यक्ति जल्दी बूढ़ा होने लगता है। टीबी की दवा खाने से भी कई रोगियों को खुजली की शिकायत हो सकती है, कुछ रोगियों ने खुजली की शिकायत भी की। इन सभी को डा. दीपांकर ने दवा देने के साथ ही अपना मोबाइल नंबर भी दिया, और कहा कि त्वचा संबंधी कोई भी परेशानी होने पर क्षय रोगी उन्हें सीधे फोन कर सकते हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सक डा. विमल रस्तोगी क्षय रोगियों के लिए जरूरी योगासन के बारे में विस्तार से बताया और उन्हें योगासन करके भी समझाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा नियमित रूप से योग करने पर व्यक्ति में पॉजीटिव एनर्जी का संचार होता है, इसलिए योग किसी भी रोग से उबरने में मददगार साबित होता है। टीबी फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है इसलिए प्राणायाम और श्वांस संबंधी योग करना क्षय रोगियों के लिए बहुत जरूरी है। कार्यक्रम में सीएचसी प्रभारी डा. अनुराग संजोग, एसटीएस रविन्द्र कुमार और सुनेंद्र सिंह का भी सहयोग रहा।
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