पीपीसी कोठीगेट पर आशा कार्यकर्ताओं का हुआ टीबी  के प्रति संवेदीकरण

एनसीडी स्क्रीनिंग के पांच दिवसीय प्रशिक्षण में टीबी की भी जानकारी दी गई

आशा कार्यकर्ता गृह भ्रमण के दौरान टीबी के लक्षणों के बारे में भी बताएं

 

हापुड़, 18 जनवरी, 2024 पीपीसी (जच्चा- बच्चा केंद्र)कोठीगेट के सभागार में आशा कार्यकर्ताओं के पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में बृहस्पतिवार को उनका टीबी के प्रति संवेदीकरण किया गया। प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. योगेश गुप्ता ने बताया - गैर संचारी रोग (एनसीडी) स्क्रीनिंग के लिए आशा कार्यकर्ताओं का पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहा है। स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी (एचईओ) गढ़मुक्तेश्वर शैलेंद्र सिंहप्रियंका नामदेव और विकास सैनी द्वारा आशा कार्यकर्ताओं को एनसीडी स्क्रीनिंग के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बृहस्पतिवार को प्रशिक्षण कार्यक्रम के चौथे दिन आशा कार्यकर्ताओं का टीबी के प्रति संवेदीकरण किया गया।

एचईओ शैलेंद्र सिंह ने बताया - सरकार का कार्यक्रम है कि 30 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों की एनसीडी स्क्रीनिंग की जाए। इसमें शुगरउच्च रक्तचाप और तीन प्रकार के कैंसर (मुंह का कैंसरस्तन कैंसर और बच्चेदानी के मुंह के कैंसर) की स्क्रीनिंग जानी है। सभी लोगों की स्क्रीनिंग का डेटा पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा और साथ ही जिन लोगों में इनमें से किसी बीमारी के लक्षण होंगेउनकी जांच कर उपचार शुरू कराया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद आशा कार्यकर्ता गृह भ्रमण के दौरान लक्षणों के आधार पर स्क्रीनिंग करेंगी। वस्तुत ः यह एक वेलनेस कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समय से रोगों की पहचान कर शुरुआत में ही उपचार उपलब्ध कराना है।

प्रशिक्षण सत्र के दौरान जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने आशा कार्यकर्ताओं का टीबी के प्रति संवेदीकरण किया। आशा कार्यकर्ताओं को बताया गया कि गृह भ्रमण के दौरान वह लोगों को टीबी के लक्षणों और उपचार के बारे में जानकारी दें। दो सप्ताह से अधिक खांसी या बुखारखांसी में खून या बलगम आनारात में सोते समय पसीना आनावजन कम होनाभूख न लगना और सीने में दर्द रहना या शरीर पर कहीं गांठ बनना टीबी के लक्षण हो सकते हैं। आशा कार्यकर्ताओं को कहा गया कि इनमें यदि कोई भी लक्षण हो तो व्यक्ति को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर टीबी की जांच करानी जरूरी है। 

पीपीएम समन्वयक ने कहा - जांच में टीबी की पुष्टि होने पर घबराने की जरूरत नहीं है। सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी के उपचार की व्यवस्था की व्यवस्था है। अधिकतर मामलों में छह माह के नियमित उपचार से टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है। टीबी की जांच में देरी से रोगी के अपनों को भी संक्रमण होने का खतरा रहता है। दरअसल फेफड़ों की टीबी संक्रामक होती है जो सांस के जरिए फैलती है। आशा कार्यकर्ताओं का आह्वान किया गया कि फेफड़ों की टीबी के रोगियों को सार्वजनिक स्थानों पर मास्क लगाने की भी सलाह दें। 

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