अखिल भारतीय कलासाधक संगम- 2024 बेंगलुरु में होगा आयोजित

-  मेरठ प्रांत से 40 प्रतिनिधि व कला साधक सम्मिलित होंगे

-  श्री श्री रविशंकर आश्रम बेंगलुरु में प.पू. सरसंघचालक माननीय मोहन जी भागवत की भी उपस्थिति रहेगी


मेरठ।
आगामी 01 से 04 फरवरी, को श्री श्री रविशंकर आश्रम बेंगलुरु में “अखिल भारतीय कलासाधक संगम” आयोजित होने जा रहा है। कलासाधक संगम में देश भर के लगभग 2 हजार प्रतिनिधि व कलासाधक एवं संगठनात्मक मेरठ प्रांत से 40 प्रतिनिधि व कला साधक सम्मिलित होंगे।   

वस्तुतः कलासाधक संगम भारतीय कला दृष्टि में विश्वास रखने वाले कलासाधकों का एक समागम है। जो प्रायः 3 वर्ष के अंतराल पर देश के अलग-अलग स्थान पर आयोजित होता है। इसमें विभिन्न कला विधाओं की मंचीय प्रस्तुतियां व बौद्धिक संवाद-विमर्श के कार्य होते हैं। जिसके माध्यम से कार्यकर्ता, कलासाधक, कला रसिक व आमजन भारतीय कला दृष्टि के प्रति अपनी सोच विकसित करते हैं और साहित्य-कला-संस्कृति के माध्यम से मातृभूमि की आराधना में संलग्न होते हैं।

इस बार के कलासाधक संगम में देश के सभी प्रान्तों व अलग-अलग हिस्सों से आए साहित्यकार व कलाकार कला और साहित्य के माध्यम से समरसता विषय के अंतर्गत आने वाले विभिन्न पहलुओं पर संदेश देंगे। इस निमित्त अलग-अलग सत्रों में सेमिनार, मंचीय प्रस्तुतियों व प्रदर्शनियों की सहायता ली जाएगी। इसी क्रम में समरसता शोभायात्रा भी निकाली जाएगी। देश के सभी प्रान्तों की शोभायात्राओं के साथ समरसता पर आधारित प.उत्तर प्रदेश उत्तराखंड  की प्रसिद्ध माँ नन्दा देवी राजजात यात्रा को शोभायात्रा को सम्मिलित किया गया है। आयोजन में पेंटिंग, फोटोग्राफी, कैलीग्राफी व रंगोली  की प्रदर्शनियां में लगाई जाएंगी तथा नॉर्थ ईस्ट के कलासाधक सामूहिक नृत्य प्रस्तुति देंगे। धार्मिक-सामाजिक आख्यान, नृत्य, गायन, वादन की भी प्रस्तुतियां होंगी।

4 दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन में कलाओं के संरक्षण-संवर्धन के लिए विख्यात मैसूर राजवंश के राजा यदुवीर वाडियार ,  विजयनगर साम्राज्य के वंशज कृष्णदेवराय उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर प्रख्यात लोक कलाकार पद्मश्री मंजम्मा जोगती , वरिष्ठ तबला वादक रविंद्र यावगल  व इतिहासकार डॉ. विक्रम संपत भी उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम में 2 दिन (3 व 4 फरवरी) को प.पू. सरसंघचालक माननीय मोहन जी भागवत की भी उपस्थिति रहेगी।

वे संस्कार भारती द्वारा दिये जाने वाले “भरतमुनि कला सम्मान” समारोह में दृश्यकला एवं लोककला विधा के चयनित दो ख्यातिनाम कलासाधकों को सम्मानित करेंगे। जिसमें दृश्यकला विधा में मुंबई के चित्रकार श्री विजय दशरथ आचरेकर व लोककला विधा में सिंधुदुर्ग के लोक कलाकार  गणपत सखाराम मसगे को सम्मानित किया जाएगा। बताया कि सम्मान के रूप में एक स्मृति चिह्न, सम्मान पत्र एवं रुपए 1,51,000 की धनराशि भेंट की जाएगी। बताया कि संस्कार भारती द्वारा दिया जानेवाला यह श्भरतमुनि कला सम्मानश् भारत में पंचम वेद के नाम से विख्यात नाट्य शास्त्र के रचियता महर्षि भरतमुनि को समर्पित है। उन्होंने यह भी बताया की  वर्ष 2024 का भरतमुनि कला सम्मान मंचीय कला और साहित्य के क्षेत्र में दिया जाएगा।आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर   के आशीर्वचन व मोहन  भागवत के समापन उद्बोधन के साथ 4 दिवसीय कार्यक्रम पूर्ण होगा।


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