मज़हर स्यानवी की शायरी की सबसे बड़ी ख़ूबी यह है कि श्रोता और पाठक उसे अपने दिल की बात समझते हैं : आरिफ़ नक़वी
मज़हर स्यानवी की शायरी में प्राचीन विचारों के साथ-साथ आधुनिक विचारों का भी सामंजस्य है। : प्रो. असलम जमशेदपुरी
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में मजहर स्यानवी की स्मृति में ऑफलाइन और ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
मज़हर स्यानवी एक सरल स्वभाव, मृदुभाषी और नेकदिल स्वभाव के व्यक्ति थे। लोग जो बात दिल में रखते थे, वे उसे तुरंत जुबान पर ला देते थे। न ईमानदारी छुपती है, न नफरत. वासना और लालच से सख्त नफरत करने वाले वह एक उदारवादी व्यक्ति थे. वह जीवन के हर उतार-चढ़ाव से परिचित थे। मजहर स्यानवी की वाणी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि सुनने वाला और पढ़ने वाला उसे अपने दिल की बात समझता है। ये शब्द प्रसिद्ध जर्मन लेखक आरिफ नकवी के थे। जो शायर मजहर स्यानवी की स्मृति में आयोजित शोक सभा में ऑनलाइन अध्यक्षीय भाषण दे रहे थे।
कार्यक्रम की शुरुआत एमए द्वितीय वर्ष के छात्र मोहम्मद तलहा ने पवित्र कुरान की तिलावत से की। बाद में फरहत अख्तर ने नात पेश की। इस साप्ताहिक साहित्यिक कार्यक्रम 'अदब नुमा' के संरक्षण प्रसिद्ध आलोचक एवं कथा लेखक और उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो. असलम जमशेदपुरी ने किया। आयुसा की अध्यक्षा प्रो. रेशमा परवीन ने ऑनलाइन भाग लिया। स्वागत डॉ. आसिफ अली, संचालन डॉ. इरशाद स्यानवी और फैजान जफर ने आभार प्रकट किया।
मज़हर स्यानवी पर एक शोध प्रपत्र प्रस्तुत करते हुए डॉ. इरशाद स्यानवी ने कहा कि जमील मज़हर स्यानवी का साहित्य उन खामियों और कृत्रिम लहजे से मुक्त है जो आज ज्यादातर युवा कवियों के साहित्य में आम तौर पर पाया जाता है। सत्यनिष्ठा, प्रतिबद्धता, अच्छी अभिव्यक्ति और शब्दों की सुदृढ़ता उनके साहित्य की मुख्य विशेषताएं हैं। शायरी के लिहाज से मज़हर स्यानवी के व्यक्तित्व और कला की जो छवि पाठकों के सामने उभरती है, उससे कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि जमील मज़हर स्यानवी खास और आम होने के साथ-साथ अच्छे संस्कार वाले इंसान और दुनिया के उस्ताद शायर थे। समकालीन शायरी में उनकी नवीनता और तुकबंदी अद्वितीय है।"
डॉ. ईश्वर चंद गंभीर ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि मजहर स्यानवी एक महान शायर थे, मैं उन्हें हृदय से नमन करता हूं। प्रो. असलम जमशेदपुरी ने कहा कि शायर मजहर स्यानवी की याद में आयोजित यह कार्यक्रम ऑनलाइन और ऑफलाइन किया जा रहा है ताकि दूर-दूर तक उनका नाम लोगों तक पहुंच सके. वह जिस भी महफिल में खड़े होते थे, महफिल लूट लेते थे. अध्ययन किया जाए तो पता चलता है कि स्यानवी की कविता में प्राचीन विचारों के साथ-साथ आधुनिक विचारों का भी सामंजस्य है।
इस अवसर पर आफाक अहमद, जीशान खान, डॉ. मुजीब शहज़र, डॉ. मुहम्मद यूनुस गाजी, असरारुल हक, मुकेश तिवारी, नदीम रामजी, फरमान जहीर, रेहान कुरेशी, शहजाद आननपुरी, राशिद कैफी, डॉ. फरहत जमाल, अली जौहर, अब्दुल कादिर किठौरवी, अनीस मेरठी, वासिल मजहरी आदि ने उन्हें अपने भावपूर्ण शब्दों से श्रद्धांजलि प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में इरफान आरिफ, फैजान जफर, सैयदा मरियम इलाही, मुहम्मद शमशाद, शाहे जमन, शाहनाज, सरताज अहमद एडवोकेट, माहे आलम सहित बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य व्यक्ति और छात्र शामिल हुए।
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