मौसम में बदलाव से प्रदूषण स्तर सुधरा, लेकिन अब भी सावधान रहें : सीएमओ
- बदलते मौसम में श्वास रोगी बरतें सावधानी, ठंड और प्रदूषण बढ़ा सकते हैं परेशानी
- दिवाली पर ग्रीन पटाखों से भी बनाकर रखें दूरी, स्वास्थ्य के प्रति सतर्कता है जरूरी
हापुड़, 11 नवंबर, 2023। मौसम तेजी से बदल रहा है। इस मौसम में श्वास (सांस) रोगियों को अतिरिक्त सतर्कता की जरूरत है। हालांकि शुक्रवार सुबह हुए मौसम में बदलाव से प्रदूषण स्तर में थोड़ा सुधार हुआ है, लेकिन आने वाले दिनों में प्रदूषण स्तर फिर से बढ़ सकता है, साथ ही तापमान में गिरावट से गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी है। ऐसे में श्वास रोगियों, बच्चों और बुजुर्गों को खासतौर पर सतर्क रहने की जरूरत है। यह बातें शुक्रवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार त्यागी ने कहीं।
सीएमओ डा. त्यागी ने कहा - त्यौहारी सीजन में कई बार लापरवाही हो जाती है। सुबह-शाम अच्छे से पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। इससे ठंड और मच्छरों से बचाव करने में मदद मिलेगी। प्रदूषण से बचाव के लिए घर से बाहर निकलने पर मास्क लगाएं। इसके अलावा तेज आवाज वाले पटाखे हृदय रोगियों, गर्भवती और छोटे बच्चों को आघात पहुंचा सकते हैं। अधिक खांसी होने पर, घबराहट होने पर, होठ या नाखून नीले होने पर, सांस फूलने पर, सांस लेते समय घरघराहट होने पर, सीने में जकड़न महसूस होने पर और सिर में भारीपन होने पर नज़दीकी स्वास्थ्य जाकर चिकित्सक से परामर्श लें।
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने बताया - टीबी रोगी और एलर्जी पीड़ित दिवाली के मौके पर मास्क का प्रयोग करना न भूलें। मास्क लगाने से श्वास संबंधी रोग भी परेशान नहीं करेंगे। दरअसल मास्क धूल और धुएं से बचाता है। बेहतर हो कि अस्थमा, श्वांस और दमा रोगी सुबह शाम घर के अंदर ही रहें और अपने खानपान का भी ध्यान रखें। दिवाली पर पटाखे जलाने से बचें। इससे प्रदूषण बढ़ता है। ग्रीन पटाखे भी धुंआ करते हैं और इनका धुंआ श्वास रोगियों के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। इसके अलावा बच्चों व बुजुर्गों और टीबी रोगियों को भी खासतौर पर प्रदूषण से दूर रहने की जरूरत है। कमजोर फेफड़ों के प्रदूषित वातावरण के संपर्क में आने से अस्थमा के अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
पीएम - 2.5 की मात्रा डब्ल्यूएचओ मानकों से दोगुनी
उत्तर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की वेबसाइट के मुताबिक शुक्रवार को हवा की गुणवत्ता में सुधार जरूर दर्ज हुआ है। वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 से नीचे पहुंच गया है, यह राहत वाली बात है, लेकिन हवा में प्राइमरी पोल्यूटेंट (पीएम-2.5) की मात्रा 31 रही, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से निर्धारित स्वास्थ्य मानकों से दोगुनी थी। यूपीपीसीबी की साइट पर आने वाले दिनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक में बढ़ोत्तरी की बात कही गई है, सोमवार तक इसके फिर से अति गंभीर (301 -400) श्रेणी में पहुंचने की आशंका जताई गई है।
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