अंतराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मुलन दिवस पर महिलाओ की सुरक्षा के साथ कानून की दी जानकारी  -अंजु पांडेय

मेरठ। हर साल, महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस  25 नवंबर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा चिह्नित किया जाता है। यह दिन जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है कि दुनिया भर में महिलाओं को घरेलू हिंसा, बलात्कार और अन्य प्रकार की हिंसा का शिकार होना पड़ता है।

अंतराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मुलन दिवस पर बेटियाँ फाउंडेशन मेरठ ने शहर के कुछ स्थानों पर शास्त्री नगर, जगर्ति विहार सेक्टर 2 मे महिलाओ से संवाद किया और पाया कि 85% महिलाओ के साथ शारिरिक,मानसिक व आर्थिक हिंसा किसी न किसी प्रकार होती है। संस्था अध्यक्ष अंजु पांडेय ने कहा कि आर्थिक घरेलू उत्पीड़न के बारे में जनजागरूकता बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है। शैक्षिक अभियान, सामुदायिक कार्यक्रम   मदद कर सकते हैं।महिलाओं के लिये उपलब्ध सुरक्षा उपायों के विकल्पों को बढ़ावा देने और इन्हें महिलाओं के बीच मुख्यधारा में लाने की आवश्यकता है। सरकार को अधिनियम में कड़े दंड प्रावधानों को शामिल करना चाहिये ताकि यह उत्पीड़न करने वालों के लिये एक निवारक के रूप में कार्य कर सके।आर्थिक घरेलू उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को विशेष सहायता सेवाओं तक पहुँच की आवश्यकता होती है। इसमें परामर्श, कानूनी सहायता, वित्तीय सलाह और सुरक्षित आवास या रोज़गार खोजने में सहायता करना शामिल हो सकती है।  महिलाओं को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनने के लिये उन्हें सशक्त बनाना महत्त्वपूर्ण है। व्यावसायिक प्रशिक्षण, शैक्षिक अवसर और रोज़गार प्रदाता कार्यक्रमों तक पहुँच प्रदान करने से इन पीड़िताओं को अपने जीवन का पुनर्निर्माण कर सकने और नियमित रोज़गार सुरक्षित कर सकने के लिये आवश्यक कौशल प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।सरकार द्वारा अनेक योजनाओं का लाभ लेकर आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए जगरूकता जरूरी है। उपस्थित महिलाओं ने बताया कि आर्थिक उत्पीड़न घरेलू हिंसा का एक रूप है जिस पर शायद ही कभी चर्चा की जाती है।हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा को क्यों खत्म करना चाहिए?अध्यक्ष अंजु पाण्डेय का कहना है कि महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा  बड़े पैमाने पर दण्ड से मुक्ति, चुप्पी, कलंक और शर्मिंदगी के कारण रिपोर्ट नहीं की जाती है।अपने साथी द्वारा हिंसा मारपीट, मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार, यौन हिंसा और उत्पीड़न बलात्कार  बाल यौन शोषण, जबरन शादी,  और बाल विवाह सभी उत्पीड़न को समाप्त करना है।  महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन जरूरी है यह तभी संभव है जब महिलाएं खुद जागरूक हो स्वम् मे संस्कारी होने के साथ अपने साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाये। डॉ क्षमा चौहान ने कहा कि उत्पीड़न के कारण महिलाओं  का स्वास्थ्य  प्रभावित करता है 

परिणाम स्वरूप बच्चों की शिक्षा संस्कारों पर बुरा असर होता है।जबकि लिंग आधारित हिंसा किसी के भी साथ, कहीं भी हो सकती है, कुछ महिलाएं और लड़कियां विशेष रूप से असुरक्षित हैं - उदाहरण के लिए, युवा लड़कियां और वृद्ध महिलाएं महिलाओं के खिलाफ हिंसा समानता, विकास, शांति के साथ-साथ महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों की पूर्ति में बाधा बनी हुई है।

महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त

करने के लिए बचपन से पाठ पढाना चाहिए ताकि बच्चे एक दूसरे का सम्मान करना सीख सके।लगभग तीन में से एक महिला को अपने जीवन में कम से कम एक बार शारीरिक और/या यौन हिंसा का शिकार होना पड़ा है।86% महिलाएँ और लड़कियाँ  कानूनी सुरक्षा के बिना  रहती हैं।महिलाओं के खिलाफ हिंसा समाप्त करने के लिए एकजुट हों इस अवसर पर अंबेडकर बच्चों के साथ संस्था सदस्य व शशिबाला, रजनी, अनिता, संजू, प्रेम, गरिमा, राज आदि सम्मिलित रही। 

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