बेटियां खेल के मैदान में बढ रही आगे- राज्यपाल

पचास किसानों का समूह बनाकर उन्हें दें कृषि विविधीकरण की जानकारी-

हाइवे बनाकर हुआ पश्चिमी उत्तर प्रदेश का चहुँमुखी विकास-डा संजीव बालियान

किसानों को प्राकृतिक खेती तथा जैविक खेती की तरफ भी देना होगा ध्यान-  राज्यमंत्री, कृषि

 महामहिम राज्यपाल ने किया सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि में अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का शुभारम्भ 

मेरठ ।सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय,में मंगलवार को अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का शुभारम्भ महामहिम राज्यपाल/कुलाधिपति  आनंदीबेन पटेल ने किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज की स्थिति बदल गई है अब गरीब घरों और किसानों की बेटियां खेल के मैदान में आगे बढ रही हैं। खेल के क्षेत्र में इस बार हमारी बेटियों ने एशियन गेम्स में इतिहास बनाया हैं। खुशी की बात है कि भारत के लिए प्राप्त कुल मेडल में से 50 प्रतिशत महिलाओं ने मेडल प्राप्त किए हैं। आज हमारी बेटियॉ हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं जोकि एक अच्छा संकेत हैं। पूरे उत्तर प्रदेश में 9 विश्वविद्यालयों में महिला कुलपति बनाई गई हैं। उन विश्वविद्यालयों में भी अच्छा कार्य हो रहा हैं। 



      उन्होंने कहा कि अब विधानसभा एवं लोकसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए नारी शक्ति वंदन बिल पास किया गया है जो कि महिलाओं की बढती हुई ताकत को दिखाता है। उन्होंने बताया कि गुजरात में किसान अब किसान गेहूँ की खेती के अलावा सब्जी की खेती पर ज्यादा जोर दे रहे हैं और वो सब्जियॉ उगाकर दिल्ली की मण्डियों में भेज रहे हैं जिससे उनकी आय में बढोत्तरी हुई है। इस अवसर पर  राज्यपाल  द्वारा बच्चो को पुस्तक व फल का वितरण किया गया तथा एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाली महिला खिलाड़ी पारुल चौधरी, अन्नू रानी (प्रतिनिधि) व किरण बालियान को सम्मानित किया गया।

 राज्यपाल/कुलाधिपति  आनंदीबेन पटेल ने अपने सम्बोधन में कहा कि अब महिलायें घर से बाहर निकल रही हैं और परिश्रम कर रही हैं परिश्रम से ही गाँव की छात्र-छात्राए शिक्षा के अलावा शोध तथा अन्य क्षेत्रो में सराहनीय कार्य कर रही हैं। उन्होंने बताया भारत के प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि महिलाओं की शक्ति का उपयोग भारत के विकास में होना चाहिए तभी देश आगे बढेगा। सरकार महिलाओं के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं को लेकर आ रही हैं। जिससे महिलाओं तथा उनके परिवार का विकास हो रहा हैं। उन्होंने कहा कि जितना ज्ञान पुरूष में होता है उतना ही ज्ञान महिलाओं में होता हैं अब महिलाए इस बात को समझकर आगे बढ रही हैं। उन्होंने बताया कि सरकार के सार्थक प्रयासो से आज 13.5 करोड़ परिवार गरीबी से बाहर हुए हैं।

उन्होंने कहा कि अब देश व प्रदेश में गुण्डागर्दी खत्म हो गई हैं और लोग आगे बढ रहे हैं। प्रदेश में 32 विश्वविद्यालय है सभी अच्छा कार्य कर रहे हैं। अब गाँव की महिलाए एवं छात्र-छात्राए आगे आ रही है इससे गाँव आगे बढ रहे है। इसके लिए गाँव को गौरव होना चाहिए। गाँव की सोच में इस 21वीं सदी में बदलाव आ रहा है। चन्द्रयान-3 को बनाने में भी 50 प्रतिशत महिलाओ की भागीदारी रही। इसी प्रकार आदित्य-1 में भी उत्तर प्रदेश की महिलाओं का योगदान रहा है। उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश की महिलाओं तथा छात्र-छात्राओं में जो ताकत है उसको समाज के लोगों को बढावा देना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि 50-50 किसानों का समूह बनाकर किसानों को कृषि विविधीकरण की जानकारी दी जाये। पहले किसान  केवल  गेहूँ पैदा करना, बेचना और खाने तक सीमित था लेकिन अब किसान जागरूक हुआ है और भारत का किसान मेहनत कर रहा है, जिससे आगे बढ रहा है। गन्ने की 238 प्रजाति जोकि रेडरॉट रोग के कारण समाप्त हो रही है इसमें विश्वविद्यालयों को शोध करना होगा और अच्छी रिकवरी वाली प्रजाति को विकसित करना होगा। उन्होंने कहा कि सब लोगों को अपने भोजन में मिलेट्स शामिल करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपने खाने में लगभग 3 मिलेट्स को मिलाना चाहिए जो शरीर को ताकत देगा। उन्होंने बताया कि बडी आबादी मधुमेह से पीडित है यदि ये अपने खान-पान में मोटे अनाज अर्थात श्रीअन्न को शामिल करते है तो इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता हैं। उन्होने बताया कि जी-20 सम्मेलन के बाद विदेशों से मोटे अनाज की मांग आ रही हैं, उसके अनुरूप उत्पादन पर ध्यान देना होगा।  

उन्होंने कहा कि महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से बचाने के लिए वैक्सीनेशन बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि 9-14 वर्ष तक की बच्चियों को एचपीजी की वैक्सीन लगवानी चाहिए। यदि उम्र 14-18 वर्ष से ज्यादा है तो इस वैक्सीन की तीन डोज लगवानी चाहिए। इससे महिलाए तथा बेटियॉ कैंसर जैसे भयानक रोग से बच सकेंगी। उन्होने आहवान किया कि कैंसर का मतलब है कैंसिल अर्थात परिवार का नुकसान होना इसलिए बेटियों एवं महिलाओं को बचाने के लिए वैक्सीन अवश्य लगवाये। 

 राज्यमंत्री, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी, भारत सरकार, डा संजीव बालियान ने अपने सम्बोधन में कहा कि गन्ने की 238 प्रजाति ने किसानों को काफी लाभ दिया है। इससें पहले गन्ने की रिकवरी 8-9 प्रतिशत हुआ करती थी जोकि बढकर 11-12 प्रतिशत तक हो गई है। लेकिन रेडरोट रोग के कारण यह प्रजाति समाप्त हो रही हैं। अभी तक जो प्रजातियॉ है वो इसके टक्कर की नही हैं। इसलिए वैज्ञानिकों को शोध करके अच्छी नई गन्ने की प्रजाति विकसित करनी होगी। उन्होने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हरित प्रदेश मिल्क कॉपरेटिव अच्छा कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के किसान खेती और खेल से आपस में जुडे हुए है इसी का परिणाम है कि बडी संख्या में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बेटे-बेटियों ने मेडल प्राप्त किये है। हाइवे बनाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का चहुँमुखी विकास हुआ है। अब अपराध मुक्त पश्चिमी उत्तर प्रदेश जाना जा रहा है। प्रदेश में एथेनॉल का प्रोडक्शन मक्का, गेहूँ व चावल से किया जा रहा है। उन्होने कहा कि किसान हित में सरकार की नीतियां कार्य कर रही हैं जो जमीनी स्तर पर दिखाई दे रहा है।  

राज्यमंत्री, कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान, उप्र, बलदेव सिंह औलख ने अपने सम्बोधन में कहा कि किसानों को प्राकृतिक खेती तथा जैविक खेती की तरफ भी ध्यान देना होगा। हमें गन्ना, गेहूँ व धान से हटकर कृषि का विविधीकरण करना होगा जिससे आय दो से चार गुनी बढ सकती है जिससे किसान खुशहाल होगा। मोटे अनाज की खेती किसानों को करनी चाहिए। इन अनाजों की कीमत भी किसानों को अच्छी मिल रही है। किसान मेले से किसानों को फायदा होगा। इस प्रकार के मेले से किसानों को नई तकनीकी सीखने और जानने का मौका मिलता हैं। 

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, डा केके सिंह ने बताया कि किसानों को कृषि विविधीकरण, मोटे अनाज तथा फसलों के प्रसंस्करण पर ध्यान देना होगा तभी किसानों की आय में बढोत्तरी होगी। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि इस बार मेले का विषय कृषि विविधीकरण से पोषण सुरक्षा है। उन्होने बताया कि किसान मेले का आयोजन कृषको, कृषि क्षेत्र से जुडे़ उद्यमियों एवं उन सभी को जो परोक्ष व अपरोक्ष रूप से खेती बाड़ी से जुड़े है के लाभार्थ विश्वविद्यालय में लगाया गया है। इस बार मेले में फसल अवशेष प्रबन्धन, मिलट्स ऑफ द् ईयर-2023, प्राकृतिक खेती,कृषि विविधीकरण, महिला सशक्तिकरण, ड्रेगन फ्रूट्स का उत्पादन तकनीक और उसका प्रदर्शन, डॉग शो तथा बेरोजगार युवको के लिए उद्यमिता विकास की पूर्ण जानकारी से सम्बंधित विशेष स्टॉल की व्यवस्था की गई है। जिसमें किसान काफी रूचि ले रहे हैं। 

अध्यक्ष, कृषि वैज्ञानिक चयन मण्डल, नई दिल्ली, डा संजय कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि यदि किसान एग्री एन्टरप्रिन्योरशिप को बढावा दे तो किसानों की आय में बढोत्तरी होगी। अब ऐसे अनाजों और फसलों को उत्पादन करने की आवश्यकता है जिसमें विटामिन-डी, बी-12, आयरन, जिंक भरपूर मात्रा में मौजूद हों। उन्होने कहा कि कि एरोमेटिक पौधों का उत्पादन भी करना होगा। ये मानसिक तथा घुटनों के रोगों के लिए काफी लाभदायक साबित हुए हैं। आज के परिपेक्ष्य में गुणवत्ता युक्त चारा उत्पादन करने की आवश्यकता हैं। उन्होने कहा कृषि उत्पाद उसका प्रसंस्करण, उसकी ब्राण्डिंग तथा मार्केटिंग की जाए तो किसानों अच्छा लाभ मिलता हैं। किसानों को फूलों की खेती पर भी ध्यान देना होगा इससे किसानों की आय बढ सकती है। 

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 1.5 करोड़ की लागत से प्रस्तावित दुग्ध प्रसंस्करण एवं गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशाला का शिलान्यास भी किया। 

 राज्यपाल द्वारा कृषि प्रदर्शनी का अवलोकन कर विभिन्न उत्पादो की जानकारी प्राप्त की गयी। मेले में लगभग 150 से अधिक स्टॉलों (खाद बीज, पेस्टीसाइड एवं मशीनरी) पर किसानों को तकनीकी जानकारी दी जा रही है। यहॉ पर विभिन्न प्रकार की मशीनों को प्रदर्शित भी किया गया है। विश्वविद्यालय का प्रयास है कि इस बार का कृषि मेला करने व बाहर से आने वाली बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भी मेरठ में नये कृषि से सम्बंधित तकनीकी ज्ञान से किसानों का उत्साहवर्धन और हमारे क्षेत्र के किसानों को तकनीकी सम्पन्न बनाने का प्रयास करेगे। साथ ही किसानो की आय बढ़ाने हेतु जानकारी दी गई। 

निदेशक प्रसार, पीके सिंह ने बताया कि किसान मेले में किसानो को लाने के लिए विश्वविद्यालय कार्यक्षेत्र में आने वाले जनपदों में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों को लाया गया। मेले में लगभग बीस हजार कृषकां के भाग लेने की सम्भावना है। उन्होंने बताया कि मेले में कृषि उद्योग प्रदर्शनी, शोध केन्द्रों पर परीक्षण एवं प्रदर्शन, रबी फसलों एवं सब्जियों के उन्नतशील प्रजातियों के बीजो की बिक्री, आधुनिक कृषि यंत्रो का प्रदर्शन, कृषि समस्या समाधान हेतु विचार गोष्ठी एवं विशेषज्ञों के व्याख्यान तथा डॉग शो आदि का आयोजन किया गया। मेले में प्रतिदिन गोष्ठी के माध्यम से किसानों की समस्याओं का समाधान किया गया।मेले में बहुराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के स्टॉल में बीज, दवाओं, मशीनरी एवं अन्य उपयोगी कृषि निवेश किसान भाइयो को क्रय हेतु उपलब्ध कराये गए हैं। 

मेले के उद्घाटन उपरान्त महामहिम राज्यपाल/कुलाधिपति महोदया कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त 50 अशिक्षित महिलाओं से संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। 

इस अवसर पर  विधायक मेरठ शहर रफीक अंसारी, जिलाधिकारी दीपक मीणा, एसएसपी रोहित सिंह सजवाण, कुलपति चौ चरण सिंह विवि संगीता शुक्ला, प्रबन्ध परिषद के सदस्य मनोहर सिंह तोमर, विषय विशेषज्ञ, अन्य संबंधित अधिकारी, पदक विजेता सुश्री पारूल चौधरी, सुश्री किरन बालियान, छात्र-छात्राएं, उद्यमी महिलाएं व किसान मौजूद रहे।

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