अपराधः सख्ती की जरूरत
 इलमा अजीम 
बरेली के सीबी गंज की छात्रा को रेलवे ट्रैक पर फेंका जाना, दिल्ली में टैक्सी ड्राइवर को गाड़ी में घसीटने जैसी घटनाएं पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाती हैं। यही क्यों अभी हरियाणा के पानीपत में पिछले महीने सामूहिक बलात्कार की घटना और अब उसके दो आरोपियों के जहर खा लेने तथा उनमें से एक की मौत के मामले ने एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली को उजागर किया है। यह सही है कि उस वारदात के बाद पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए व्यापक अभियान चलाया और उनमें से कई को पकड़ भी लिया। यह पुलिस की तत्परता का उदाहरण है, पर सवाल है कि आखिर किन वजहों से अपराधियों को एक गरीब परिवार को बंधक बना कर सबके सामने तीन महिलाओं का सामूहिक बलात्कार करते हुए कोई खौफ नहीं हुआ। यही नहीं, उन अपराधियों ने सामूहिक बलात्कार की घटना को अंजाम देने से थोड़ी देर पहले एक अन्य परिवार से भी मारपीट की थी, उनके सामान लूट लिए और एक महिला की हत्या कर दी थी। विडंबना यह है कि जब अपराधी बेलगाम होकर अपनी मनमानी कर रहे होते हैं, तब ऐसा लग रहा होता है कि उनके सामने कोई प्रशासनिक बाधा नहीं है। हालांकि अमूमन सभी सरकारों को यह दावा करते देखा जा सकता है कि वे अपराध पर लगाम लगाने के लिए हर स्तर पर सख्ती बरतेंगी, ताकि आपराधिक तत्त्वों के भीतर खौफ पैदा हो और जनता को उनसे मुक्ति मिले। खासकर महिलाओं को सुरक्षित माहौल मुहैया कराने को लेकर आए दिन बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं। मगर जमीन पर स्थिति यही होती है कि सरकार और पुलिस की नींद तभी खुलती है, जब कोई बड़ी घटना सुर्खियों में आती और मामला तूल पकड़ लेता है। उसके बाद प्रशासन और पुलिस की ओर से कई बार ऐसी सक्रियता दिखाई जाती है, जो अगर आम दिनों में भी कायम रहे तो अपराधियों और अपराध पर काबू पाना इतना मुश्किल न हो। सच यह है कि देश के ज्यादातर हिस्सों में सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस की कार्यशैली की वजह से ही आपराधिक तत्त्वों के भीतर यह दुस्साहस पैदा होता है कि वे किसी परिवार को बंधक बना कर सबके सामने महिलाओं से सामूहिक बलात्कार जैसी घटना को अंजाम दें। यह माना जा सकता है कि अपराधियों के मन में क्या चल रहा है, यह पक्का पता करना हर बार संभव नहीं है। लेकिन जरूरत इस बात की है कि कानून व्यवस्था को लागू करने के मामले में सक्रियता का स्तर यह हो कि किसी वारदात के बाद अपराधियों के पकड़ने से पहले ही अपराध होने की स्थितियों पर लगाम लगाई जाए। तभी सामूहिक बलात्कार और हत्या जैसी घटनाओं और अपराधियों की मनमानी से महिलाओं को बचाया जा सकेगा।

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