रोबोट की मदद से हो रहे सफल जॉइंट रिप्लेसमेंट, जानिए इससे जुड़े मिथकों की सच्चाई
मेरठ । बायोप्सी से लेकर हर्निया, हार्ट सर्जरी और ब्रेन सर्जरी में आजकल रोबोटिक प्रक्रियाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा अब घुटनों और कूल्हों की जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी भी रोबोटिक सिस्टम की मदद से की जा रही है। लेकिन इसे लेकर लोगों के बीच कुछ मिथक भी नजर आते हैं, जिसके चलते वो जरूरत होने के बावजूद रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी कराने से बचते हैं। मैक्स के डाक्टर रमणीक महाजन का कहना है कि इससे जुड़े क्या मिथक हैं और उनकी क्या सच्चाई ।
उन्होंने बताया कि राेबोट सर्जरी का मतलब ये नहीं है कि सर्जरी रोबोट ही करता है। इस तरह की सर्जरी में रोबोट सिर्फ डॉक्टर की मदद करता है ताकि ऑपरेशन पूरी सटीकता से हो सके। रोबोट की मदद से डॉक्टर एकदम सही कट लगा पाते हैं और ट्रांसप्लांटेशन कर पाते हैं। अगर डॉक्टर रोबोट को न चलाए तो वो कुछ नहीं कर सकता। यानी पूरी सर्जरी डॉक्टर ही करते हैं, बस वो इसमें रोबोट की मदद लेते हैं। सर्जरी के वक्त डॉक्टर मरीज के आसपास नहीं होता। रोबोटिक सर्जरी के बाकी मामलों में जहां मरीज से दूर रखे कंसोल के जरिए रोबोट को कंट्रोल करते हैं, जॉइंट रिप्लेसमेंट के मामले में स्थिति उससे पूरी तरह अलग रहती है। यहां रोबोट बस डॉक्टर का एक विस्तार होता है, वो खुद में सर्जन की भूमिका नहीं निभाता।लोगों को एक बात जो सबसे ज्यादा डराती है वो ये कि रोबोट एक मशीन है, कहीं ये खराब हो गया तो. इसके जवाब में आपको बता दें कि तकनीक ने बहुत तरक्की कर ली है, और बहुत ही उच्च मानकों का उपयोग करके इस प्रणाली को विकसित किया है। इसके अलावा, सर्जन रोबोट का उपयोग करने से पहले उन्हें दोबारा जांचता है।ऑपरेशन के दौरान पूरी तरह से कंट्रोल सर्जन का होता है। इसके अलावा इसमें सेफ्टी फीचर्स भी हैं जिससे किसी तरह का खतरा नहीं होता। हर तकनीक दूसरे से अलग होती है। इसलिए टेक्नोलॉजी की क्लिनिकल हिस्ट्री को समझना बहुत जरूरी होता है। इस तकनीक की मदद से की गई सर्जरी और क्लिनिकल लीगेसी जैसी चीजें समझकर ही इसे चेक किया जा सकता है।
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