मोटा अनाज पर अर्थशास्त्र विभाग करेगा अध्ययन

 


मेरठ ।
भारत दुनिया में बाजरा का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। बाजरा भारत के विभिन्न हिस्सों में व्यापक रूप से खाया जाता है, खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां इन्हें मुख्य भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है। हालाँकि, हाल के वर्षों में, शहरी क्षेत्रों में बाजरा की खपत में गिरावट आई है, जहाँ लोग अधिक प्रसंस्कृत और परिष्कृत खाद्य पदार्थों की ओर स्थानांतरित हो गए हैं। इस समस्या के समाधान के लिए, भारत सरकार ने मोटा अनाज की खपत को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहल शुरू की हैं।

वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने मोटा अनाज वैश्विक वर्ष घोषित किया है , जो "एक परिवार" पर प्रकाश डालता है, जी-20 के नारे, "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" को भी  दर्शाता है। यह संपूर्ण विश्व के कल्याण से संबंधित है। विश्व के विभिन्न देश एवं भारत सरकार भी अब किसानों को अधिक लचीला बनाने और मधुमेह, कुपोषण और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं से निपटने में मदद करने के लिए मोटा अनाज के उपभोग एवं उत्पादन को बढ़ाने पर विशेष प्रयास कर रही है ।

भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के द्वारा सामाजिक वैज्ञानिकों को गहन सैद्धांतिक, वैचारिक, पद्धतिगत और नीतिगत निहितार्थ वाले विषयगत क्षेत्रों में गहन अध्ययन हेतु समय समय पर शोध प्रबंध आमत्रित किये जाते है इसी श्रंखला में आई सी एस एस आर नई दिल्ली द्वारा चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के अर्थशास्त्र विभाग के वरिष्ठ आचार्य एवं पूर्व अध्यक्ष प्रो दिनेश कुमार को एक मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट स्वीकृत किया गया है जिसका शीर्षक “भारत में मोटा अनाज की खपत पैटर्न का मूल्यांकन- उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड , हरियाणा एवं पंजाब के विशेष सन्दर्भ में” है l यह एक सामूहिक प्रोजेक्ट है और इस प्रोजेक्ट में प्रो दिनेश कुमार , प्रोजेक्ट निदेशक एवं प्रोजेक्ट समन्वयक होंगे एवं  सहायक निदेशक में रूप में डॉ सुषमा गौर भूगोल विभाग रघुनाथ गर्ल्स (पोस्ट ग्रेजुएट ) कॉलेज मेरठ से , डॉ राजीव कौशिक भौतिक विभाग श्री के के जैन (पोस्ट ग्रेजुएट ) कॉलेज खतौली से एवं प्रो विजय जायसवाल , शिक्षा विभाग , प्रो रविन्द्र कुमार अंग्रेजी विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यलय मेरठ सम्मिलित है l इस प्रोजेक्ट को छ माह में पूर्ण करना होगा , इस  प्रोजेक्ट हेतु कुल 17.5 लाख धनराशी स्वीकृत हुई है । 

वर्तमान स्वीकृत प्रोजेक्ट उपभोक्ताओं और उत्पादकों को मोटा अनाज के पक्ष में संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से, उपभोग पैटर्न, सार्वजनिक ज्ञान का पता लगाने के लिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और पंजाब के 12 प्रमुख शहरों के 2400 उत्तरदाताओं के साथ वर्तमान अध्ययन की योजना बनाई गई है जिसमे शहरी क्षेत्रों में मोटा अनाज के उपभोग की प्रथाएं और इसके उपभोग व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारकों की पहचान करना है l इस प्रोजेक्ट में गहन अध्ययन हेतु उत्तर प्रदेश से मेरठ , लखनऊ एवं सहारनपुर , उत्तराखंड से हरिद्वार , ऋषीकेश एवं श्रीनगर , हरियाणा से करनाल, अम्बाला एवं कुरुक्षेत्र एवं पंजाब से पटियाला , लुधियाना एवं चंडीगढ़ का चुनाव किया गया है l मानवता की सेवा के व्यापक उद्देश्य के साथ, यह  अध्ययन जिन औपचारिक उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु शोध करेगा उनके मुख्य है बाजरा से संबंधित सरकारी नीतियों और उपभोग पैटर्न पर अध्ययन करना ,  चयनित राज्यों में मोटा अनाज के  उपभोग के बारे में जागरूकता, धारणा और अभ्यास की जांच करना, किसी समाज के भीतर मोटा अनाज के उपभोग पैटर्न का विश्लेषण करना और  मोटा अनाज की खपत और स्वास्थ्य के बीच संबंध का आकलन करना। ऐसा माना जाता है कि मोटा अनाज में अतिरिक्त  न्यूट्रास्युटिकल मूल्यों के साथ साथ , पाचन तंत्र सुधर , कोलेस्ट्रॉल में कमी, हृदय रोग की रोकथाम, मधुमेह से सुरक्षा, कैंसर के खतरों को कम करना, और ऊर्जा के स्तर में वृद्धि और मांसपेशी प्रणाली में सुधार आदि गुण विद्मान होते है, लेकिन यह इन्हीं तक सीमित नहीं है। इस उपलब्धि हेतु विश्वविद्यालय के शिक्षको एवं अधकारियों में प्रो दिनेश कुमार को बधाई दी है l 

प्रो दिनेश कुमार के अनुसार छ माह की सिमित अवधी में इस विस्तृत प्रोजेक्ट को सफलता पूर्वक पूर्ण करना एक चैलेंज होगा और कुलपति  के नेतृत्व  में पूरी टीम के साथ मिलकर इस चैलेंज को सफलता पूर्वक प्राप्त कर लिया जायेगा l

No comments:

Post a Comment

Popular Posts