डा. उषा शर्मा के विरूद्ध आरोप, धाराओं एवं गैर-जमानती वारन्ट - असंवैधानिक एवं विवेकहीन” -  उच्च न्यायालय, 

 मेरठ। मेडिकल काॅलेज की पूर्व प्राचार्य डा उषा शर्मा के विरूद्ध मेडिकल छात्र सिद्धार्थ चैधरी की मृत्यु के सम्बन्ध में उसके परिवार के सदस्यों ने विभिन्न प्रकार के आरोप लगाए थे। जिन आरोपो को उच्च न्यायालय ने न ही केवल खण्डित किया है बल्कि उसे गैर-कानूनी एवं विवेकहीन भी कहा है।

 डा ऊषा शर्मा का कहना है  उन्होंने सदैव  छात्र हित में एवं मेडिकल कालेज की प्रगति में ईमानदारी, पद की गरिमा एवं निष्ठा से कार्य किया है जो सर्वविदित है। उनके कार्यो को राज्य एवं राष्ट्रीय, स्तर पर सराहा गया है। उन्होंने आई.एम.ए., मेरठ, आई.ए.पी., मेरठ, फाॅग्सी, मेरठ तथा सभी छात्रों को धन्यवाद दिया।  जिन्होंने उनकी सच्चाई को माना एवं समाचार पत्रों द्वारा उनके प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त किया जिसके लिए मैं आभारी है। मैं विभिन्न समाचार पत्रों के सम्पादकों से अनुरोध करना चाहूँगी कि इस प्रकार के समाचारों को जब तक सम्बन्धित व्यक्तियों से पुष्टि न कर लें तब तक उन्हें प्रकाशित न किया जाए।

ईश्वर की कृपा है कि मेरठ की जनता को मुझ पर विश्वास था और मुझे भी यह विश्वास था कि अन्त में सत्य की ही जीत होगी। माननीय उच्च न्यायालय के आदेश ने मेरे ऊपर लगाए गये सभी आरोपों को खण्डित करते हुए मुझे निर्दोष करार दिया है।

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