रक्षाबंधन के मौके पर दो किशोरियों समेत पांच बाल क्षय रोगियों को गोद लिया
पहले भी दो बच्चियों को गोद लेकर टीबी मुक्त करा चुके हैं डा. योगेश गोयल
हापुड़, 30 अगस्त, 2023। रक्षाबंधन के मौके पर बुधवार को निशी चाइल्ड केयर सेंटर के संचालक बाल रोग विशेषज्ञ डा. योगेश गोयल ने क्षय रोग से पीड़ित दो किशोरियों समेत पांच बच्चों को गोद लिया । रेलवे रोड स्थित निशी चाइल्ड केयर सेंटर पर बुधवार को एक संक्षिप्त कार्यक्रम के दौरान इन क्षय रोगियों को पुष्टाहार प्रदान किया गया। पुष्टाहार में सोयाबीन की बड़ी, तीन तरह की दालें और भुना हुआ चना शामिल है। डा. गोयल ने बच्चों को बताया- पुष्टाहार में हाई प्रोटीन है, इसे आप लोग स्वयं खाएं। रोग प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करने के लिए उच्च प्रोटीन डाइट लेना बहुत जरूरी है। अगले माह फिर से उन्हें पुष्टाहार प्रदान किया जाएगा।
डा. योगेश गोयल ने इस बीच स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या होने पर किसी भी समय सीधे संपर्क करने की बात कही। इस मौके पर क्षय रोग विभाग से जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी और जिला पीएमडीटी समन्वयक मनोज कुमार गौतम मौजूद रहे। सुशील चौधरी ने बताया - डा. गोयल ने दिसंबर-2022 में क्षय रोग से पीड़ित दो बच्चियों को गोद लिया था, अब दोनों बच्चियां पूर्णतः स्वस्थ हैं। उन्होंने बताया - रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण बच्चे टीबी संक्रमण के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं इसलिए परिवार में किसी को क्षय रोग की पुष्टि होने पर पांच वर्ष तक के सभी बच्चों को प्रीवेंटिव टीबी थेरेपी (टीपीटी) दी जाती है, हापुड़ जनपद में टीपीटी का रेट शत-प्रतिशत है।
कैसे होती है बच्चों को टीबी ?
डा. योगेश गोयल ने बताया - बच्चों में टीबी का संक्रमण बड़ों से ही जाता है। छोटे बच्चों की बात करें तो उन्हें घर में ही संक्रमण मिलने का खतरा होता है, जबकि थोड़े बड़े बच्चों को स्कूल या किसी अन्य स्थान पर क्षय रोगी के संपर्क में आने पर टीबी संक्रमण का खतरा होता है। मां के गर्भ से या फिर प्रसव के दौरान भी बच्चे को टीबी से संक्रमित होने का खतरा रहता है। बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, इसलिए वह बड़ों के मुकाबले संक्रमण के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। कुपोषण भी बच्चों में टीबी का बड़ा कारण है।
आयु के मुताबिक बच्चों में अलग-अलग हो सकते हैं लक्षण
डा. गोयल ने बताया- आयु के हिसाब से बच्चों में टीबी के लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं। आमतौर पर बच्चों में टीबी के लक्षण हल्के होते हैं। जैसे हल्का बुखार और बिना बलगम वाली खांसी, घड़घड़ाहट की आवाज के साथ सांस तेज चलना, दूध या भोजन में रुचि न लेना, चिड़चिड़ापन, वजन न बढ़ना आदि। यूं तो सभी बच्चों को जन्म के तुरंत बाद बीसीजी का टीका दिया जाता है जो गंभीर टीबी से बच्चों की रक्षा करता है लेकिन फिर उपरोक्त में से कोई लक्षण आए तो तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर या फिर बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।
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