प्रेमचंद पर अर्पण से जरूरी है उनसे ग्रहण करना: राजेन्द्र कुमार

 इलाहाबाद विवि परिसर में धूमधाम से मनी प्रेमचंद जयंती

प्रयागराज।
कथा सम्राट और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुरातन छात्र रहे प्रेमचंद की जयंती पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिसर स्थित प्रतिमा पर सुबह-सुबह माल्यार्पण-पुष्पार्पण किया गया।
 माल्यार्पण के उपरांत विद्वानों ने अपने विचार रखे। प्रो.राजेंद्र कुमार ने कहा कि प्रेमचंद पर अर्पण करने से ज्यादा ज़रूरी है उनसे कुछ ग्रहण किया जाए। प्रेमचंद किसी आलोचक के मोहताज नहीं वे अपने पाठकों के बल पर ही हर समय में हैं। यह आजादी का 75वां वर्ष है, ऐसे में जरूरत है साहित्य, समाज और कला के कम से कम 75 नायकों के योगदान पर मुकम्मल बात करना। एक लोकतंत्रात्मक स्वस्थ समाज में चीजों की ऊंचाई से ज्यादा ज़रूरी  है क्षैतिज रूप/समरूप में होना।
प्रो. संतोष भदौरिया ने साम्राज्यवाद और नव उपनिवेशवाद के खतरे की तरफ़ इशारा किया। इससे समाज में विचलन पैदा होता है प्रेमचंद की रचनाएं हमें इनसे लड़ने की ताक़त देती हैं। डॉ. सूर्य नारायण ने परिसर में स्थिति प्रेमचंद,निराला और मदन मोहन मालवीय की मूर्तियों की स्थापना के इतिहास से अवगत कराते हुए कहा कि तीनों  हिंदी नवजागरण के प्रमुख हस्ताक्षर थे। डॉ. कुमार वीरेंद्र ने प्रेमचंद की स्वीकार्यता और जरूरत पर बल देते हुए कहा कि प्रेमचंद अपने से टकराने की इजाजत भी देते हैं और मिलने की भी।
डॉ. आशुतोष पार्थेश्वर ने प्रेमचंद की विरासत और विचारधारा को कुपाठ से बचाए रखने की बात कही। इनके अलावा डॉ. चितरंजन कुमार, डॉ. वीरेंद्र मीणा और ऑक्टा के महामंत्री डॉ. संतोष श्रीवास्तव और डॉ आशुतोष सिंह ने भी अपने विचार रखे।
इस अवसर पर वरिष्ठ कवि-आलोचक  प्रो. राजेंद्र कुमार, गांधी भवन इविवि के निदेशक प्रो. संतोष भदौरिया, डॉ. सूर्यनारायण, डॉ.कुमार वीरेंद्र, डॉ. आशुतोष पार्थेश्वर, रज्जू भैया विश्विद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आशुतोष कुमार सिंह, प्रयाग पथ के संपादक हितेश कुमार सिंह, सीएमपी डिग्री कॉलेज के डॉ.संतोष श्रीवास्तव, मेरी लूकस स्कूल के हिंदी शिक्षक डॉ धारवेंद्र प्रताप त्रिपाठी , डॉ.चितरंजन कुमार, डॉ.वीरेंद्र मीणा, इतिहास के डॉ. अनिल कुमार यादव , प्राचार्य जीआईसी रामसिंह यादव,विनोद यादव, चंद्रजीत यादव, अवनीश यादव, चंद्रशेखर कुशवाहा, अंकित मौर्य और विभाग के अन्य विद्यार्थी और शोधार्थी उपस्थित रहे।

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