मेरठ में नहीं एक भी गुड़ सेमेरिटन नेक आदमी
2014 में लाई गई थी यह योजना
मेरठ। किसी भी सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने वाले किसी भी व्यक्ति को अगर समय रहते इलाज मिल जाए तो ऐसे शख्स की जान बचाई जा सकती है। इसके लिए ही सरकार ने गुड सेमेरिटन(नेक आदमी) स्कीम लाई हुई है । उस वक्त जो भी व्यक्ति दुर्घटना के शिकार व्यक्ति की जान बचाता है उसको सराहना के अलावा 5000 हजार रुपये की धनराशि भी इनाम स्वरूप दिए जाने का प्रावधान है।
अगर मेरठ जिले की बात करें तो वर्षों पहले शुरू हुई इस स्कीम के तहत जिले में एक भी नेकआदमी जिले भर में कहीं नहीं है। हालांकि काफी बार ऐसा भी हुआ है कि लोगों को किसी सड़क दुर्घटना का शिकार होने के बाद उन्हें वहां से गुजरने वाले लोग उनके मददगार बन कर मदद पहुंचाते हैं। लेकिन चौकाने वाली बात यह है कि मेरठ में एक भी गुड़ सेमेरिटन नेक आदमी नहीं है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी अखिलेश मोहन ने बताया कि अगर कोई भी व्यक्ति घायल हो जाता है और वहां से कोई व्यक्ति गुजर रहा है और उसे हॉस्पिटल पहुंचाता है तो ऐसे व्यक्ति को गुड़ सेमेरिटन बोलते हैं। दुर्घटना में गंभीर घायर व्यक्तियों के लिए समय बहुत कीमती होता है, उन्हें अगर समय रहते इलाज मिल जाता है तो उन्हें जीवनदान मिल सकता है। उनका कहना कि इस स्कीम का उद्देश्य भी यही था कि लोगों की जान बचे।
अस्पताल में उपलब्ध होना चाहिए गुड़ सेमेरिटन फॉर्म
उन्होंने बताया कि अस्पतालों में एक फॉर्म भी इस को लेकर उपलब्ध कराया जाता है, ताकि जो ऐसे नेक लोग हैं ,जिन्होंने अपना कार्य छोड़कर किसी को अस्पताल तक पहुंचाया है उनका सम्मान किया जा सके और सरकार की तरफ से ऐसे नेक आदमियों को एक तय धनराशि भी दी जाती है। वह कहते हैं कि इस योजना से के बारे ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक हों तो दुर्घटनाओं के बाद हम कई और जिंदगियों को भी बचा सकते हैं।
स्वास्थ्य ,प्रशासन और परिवहन के अफसरों की होती है एक कमेटी
एआरटीओ प्रशासन कुलदीप सिंह का कहना कि इससे लोगों को समय रहते जीवनदान मिल सकता है । परिवहन, स्वास्थ्य के अलावा प्रशासन के अधिकारियों की कमेटी इसकी निगरानी के लिए बनी होती है। वो कमेटी ऐसे व्यक्तियों जिन्होनें कहीं न कहीं राह चलते किसी की मदद की होती है उन्हें सम्मानित तो क़रतीं ही है साथ ही इस योजना में 5 हजार रुपये की धनराशि परिवहन विभाग की तरफ से दी जाती है।
उनका कहना किअभी तक कोई भी गुड़ सेमेरिटन (नेक आदमी) ऐसा नहीं मिला है जिसे धनराशि दी गई हो। वे बताते हैं कि हालांकि ऐसा जरूर हुआ है कि अनेकों बार दुर्घटनाएं होती हैं और लोगों को दुर्घटनाग्रस्त लोगों को स्थानीय अस्पतालों में वहां से गुजर रहे राहगीर एडमिट करा देते हैं । लोगों ने ऐसे लोगों को एडमिट किया है उनकी जान भी बचाई है । ऐसे लोगों को रोड सेफ्टी के प्रोग्राम में सम्मानित भी किया है, लेकिन पैसा किसी ने नहीं मांगा न विभाग ने दिया।
2014 में लाई गई थी योजना
बतादें सड़क हादसों में होने वाली मौतों को कम करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के किसी निर्णय के बाद बाद 2014 में गुड सेमेरिटन यानि नेक इंसान योजना को शुरू किया गया था। इस योजना में ऐसा व्यक्ति जो सड़क पर तड़पते व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराएगा, उसे गुड सेमेरिटन यानि नेक इंसान के खिताब से सम्मानित किया जाएगा। पहले इसमें दो हजार रुपये की धनराशि देने का प्रावधान था।
प्रचार प्रसार न होने से योजना नहीं चढ़ी परवान
हैरानी की बात ये है कि मेरठ जिले में एक साल में खूब सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं । उसके बावजूद यहां एक नेक आदमी तक नहीं है। ऐसे में जरूरत है इसके व्यापक प्रचार प्रसार की।
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