मास्क का इस्तेमाल कर दूसरे संक्रमणों से भी बचें क्षय रोगी : सीएमओ
लोनी सीएचसी पर क्षय रोगियों को प्रदान किया गया पुष्टाहार
यशोदा अस्पताल, कौशांबी ने दो सौ क्षय रोगी और गोद लिये
गाजियाबाद, 12 अप्रैल, 2023। आप लोग मास्क का इस्तेमाल कर जहां अपनों को टीबी के संक्रमण से बचा सकते हैं वहीं, खुद भी दूसरे संक्रामक रोगों से अपना बचाव कर सकते हैं। क्षय रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, ऐसे में उन्हें संक्रामक रोग लगने का खतरा सामान्य व्यक्तियों के मुकाबले कई गुना ज्यादा होता है। इसके साथ ही सभी क्षय रोगी अपने संपर्क में रहने वाले 20- 20 लोगों की टीबी जांच अवश्य कराएं। यह बातें बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने क्षय रोगी एडॉप्शन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने जिला क्षय रोग विभाग के स्टाफ को रोगियों के 20-20 संपर्कों की टीबी जांच 10 दिन में पूरी करने का लक्ष्य दिया है।
सीएमओ ने कहा- फेफड़ों की टीबी संक्रामक होती है, जो मरीज के खांसने-छींकने से सांस के जरिए दूसरों को फैलती है, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि क्षय रोगी के साथ किसी तरह का सौतेला व्यवहार किया जाए। परिजनों का भावनात्मक लगाव क्षय रोगी की रिकवरी तेज करने में मदद करता है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), लोनी पर बुधवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान दो सौ क्षय रोगियों को पुष्टाहार वितरित किया गया। कार्यक्रम के दौरान यशोदा अस्पताल, कौशांबी की ओर से 105 पुरुष, 72 महिला और 23 बाल क्षय रोगियों को गोद लिया गया है। बता दें कि यशोदा अस्पताल क्षय रोगियों को भावनात्मक और सामाजिक सहयोग के साथ ही पुष्टाहार उपलब्ध कराने की मुहिम में जुटा है। अस्पताल के प्रतिनिधि विजय शर्मा ने क्षय रोगियों को पुष्टाहार प्रदान किया। कार्यक्रम के दौरान डा. विकास काहरा, डा. ताहिर, वरिष्ठ प्रयोगशाला पर्यवेक्षक संजय यादव, एसटीएलएस महेश कौशिक, एसटीएस शुभम कुमार, टीबी चैंपियन शेर खान और डॉट प्रोवाइडर आयशा परवीन एवं लुबिना आदि का सहयोग रहा।
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तीन दिन दवा छूटी तो बिगड़ जाती है टीबी ः डा. पंकज राकेश
सीएचसी प्रभारी डा. मनपाल की गैरमौजूदगी में पीएचसी पसौंडा प्रभारी डा. पंकज राकेश ने सीएमओ डा. भवतोष शंखधर के निर्देशन में एडॉप्शन कार्यक्रम की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने क्षय रोगियों को संबोधित करते हुए कहा - तीन दिन भी यदि दवा बीच में छूट गई तो टीबी बिगड़ सकती है। उस स्थिति में रोगी पर टीबी की सामान्य दवा काम करना छोड़ देती है और रोगी मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी का शिकार हो जाता है। एमडीआर टीबी का उपचार लंबा और मुश्किल हो जाता है, इसलिए क्षय रोगी नियमित रूप से अपनी दवा खाएं। बता दें कि डा. पंकज राकेश ने 28 मार्च को अपने 40वें जन्मदिन पर 40 क्षय रोगियों को गोद लिया है। वह लगातार उन्हें भावनात्मक सहयोग उपलब्ध कराने के लिए नियमित रूप से दवा खाते रहने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।


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