अंतरराष्ट्रीय ऑटिज्म जागरूकता दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन


मेरठ। अंतरराष्ट्रीय  ऑटिज्म जागरूकता दिवस के मौके पर व मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाने और मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग सर्विस देने वाली संस्था, मेंटल हेल्थ मिशन इंडिया और मनोविज्ञान विभाग, चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय गोष्ठी का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संकाय अध्यक्ष प्रो़ एन सी लोहानी ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित विषयों पर जागरूकता से संबंधित बात होती रहनी चाहिए जिसके लिए मनोविज्ञान विभाग बधाई का पात्र हे। क्योंकि आज के परिप्रेक्ष्य में इसकी अत्यंत आवश्यकता है।

 कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के एसोसिएट प्रोफेसर एवं क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ कृष्ण कुमार सोनी रहे। अपने वक्तव्य में उन्होंने ऑटिज्म के लक्षण, कारण एवं उपचार बताते हुए कहा कि आज ऑटिज्म जैसी समस्याएं 500 बच्चों में से 1 बच्चे को हो सकती है। इस बीमारी की शुरुआत 3 साल की उम्र से हो सकती है, जिसके साथ अन्य मानसिक बीमारियां जैसे मूड डिसऑर्डर,  एंजाइटी, के साथ कम बुद्धि होना आम बात है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की जितनी भी बीमारियां हैं, उनमें विशेष परिस्थितियों के अलावा दवाओं से ज्यादा माता पिता एवं परिवार को साइकोएजुकेशन और जागरूकता की आवश्यकता अत्यधिक होती है जिससे ही उनके वयवहारों का प्रबंधन संभव है।  उन्होंने कहा कि इस प्रकार की बीमारियों के पीछे शारीरिक कारण तो होते ही हैं परंतु घर का वातावरण, माता-पिता के बीच अत्यधिक झगड़े, बच्चों के साथ में कम वार्तालाप एवं उन पर आवश्यक ध्यान ना देने की वजह से भी कम स्तर की ऑटिज्म जैसी समस्याएं बच्चों के में एक बड़ा रूप ले लेती हैं। उन्होंने कहा कि ऑटिज्म जैसी स्थितियों में समय रहते सही मनोवैज्ञानिक परामर्श के साथ माता-पिता का अपने बच्चे के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण ज्यादा सहायक हो सकता है और इसके लिए लगातार प्रयास जरूरी है।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो़ संजय कुमार ने कहा कि आज हम विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मना रहे हैं परंतु जितनी भी मानसिक बीमारियां हैं उन सबके लिए ही, लोगों को जागरूक करने व साइको एजुकेट करने की आवश्यकता है ताकि लोगों के दिमाग से स्टिग्मा हटाया जा सके और समय रहते मानसिक बीमारियों का सही उपचार संफव हो। उन्होंने कहा कि इसके लिए हम सब मनोविज्ञान से संबंधित छात्र,शिक्षक एवं शोधार्थियों क्षं को इस जिम्मेदारी को लेने की आवश्यकता है। जिसमें कि वे समाज में हर रोज एक या दो लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करें और इस प्रकार हो हम सब मिलकर के समाज में मानसिक बीमारियों के प्रति लोगों के दिमाग में सकारात्मक सोच विकसित कर सकते

कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन एमएच्एच इंडिया की मनोवैज्ञानिक स्वाति यादव ने किया व संस्था के बारे में आयशा सैफी ने बताया। । इस दौरान एम.ए.  द्वितीय व चतुर्थ सेमेस्टर एव॔ बी.ए. द्वितीय तथा चतुर्थ सेमेस्टर के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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