SC-ST महापंचायत में दहाड़ें समुदाय के मंत्री

 डीजी रवि मेहरड़ा बोले- जनसंख्या के हिसाब से SC-ST का आरक्षण बढ़े


जयपुर,एंजेसी  ।
मानसरोवर ग्राउंड में एससी एसटी समाज की महापंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें पेंडिंग मांगों को लेकर केंद्र-राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। महापंचायत में एससी-एसटी समुदाय के मंत्री और विधायक भी बड़ी संख्या में जुटे हैं।

महापंचायत में दलित आदिवासी समुदाय के नेताओं ने केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर लंबित पड़ी मांगों का समाधान नहीं करने पर नाराजगी जाहिर की है। नेताओं ने कहा कि दलित और आदिवासियों के वोट सबको चाहिए, लेकिन वे जब मांग करें, अपने अधिकार मांगें तो जातिवाद का ठप्पा लगाकर डायवर्ट करने का प्रयास किया जाता है। दोनों वर्गों की सबसे ज्यादा आबादी है, इसके बावजूद मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाना सरकारों की मानसिकता को दर्शाता है। सरकारें दोनों समुदायों को केवल वोट बैंक समझना बंद करें, हक की बात आए तो वह भी उसी तरह से दें।

सरकार ने वादा करके भी मुकदमे वापस नहीं लिए

महापंचायत के सचिव जीएल वर्मा ने कहा- राजस्थान सरकार के स्तर पर 22 और केन्द्र सरकार के पास 14 डिमांड पेंडिंग हैं इनका जल्द समाधान किया जाए। 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद के दौरान प्रदेश में एससी-एसटी के लोगों पर 322 एफआईआर हुई थी।सरकार ने वादा किया था कि ये मुकदमे वापस लिए जाएंगे, लेकिन अभी तक नहीं लिए गए। कई स्टूडेंट्स पर भी केस दर्ज किए गए थे।

विश्व विद्यालयों में नियुक्त किए जाए कुलपति 

महापंचायत के डिमांड चार्टर के मुताबिक राजस्थान सरकार के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियों में एससी-एसटी को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देते हुए करीब 9 कुलपति नियुक्त करने की मांग की है। सरकार से एससी-एसटी वर्ग से कुलपति पद पर तत्काल नियुक्तियां देने की मांग की है।

सरकारी भर्तियों में बैकलॉग पूरा नहीं करने पर नाराजगी

महापंचायत में मांग की गई है कि राजस्थान सरकार के सभी विभागों में बैकलॉग रिक्तियों को भी विशेष अभियान चलाकर भरा जाए। 11 जनवरी 2022 से पहले से काम कर रहे संविदा कर्मचारियों को संविदा नियम 4 के तहत फिर अनुबंधित करते समय आरक्षित वर्गों के रिक्त पदों को भरा जाए।

डीजी रवि मेहरड़ा बोले- जनसंख्या के हिसाब से SC-ST का आरक्षण बढ़े

महापंचायत में डीजी सिविल राइट्स एंड साइबर क्राइम रवि प्रकाश मेहरड़ा ने कहा- दो अप्रैल 2018 के आंदोलन में जो मुकदमे दर्ज हुए थे, ‌वह अब भी विड्रो नहीं हुए हैं। दोनों ही समाज को जोड़ना था, इसलिए महापंचायत की। जनसंख्या जितनी बड़ी है, उस हिसाब से आरक्षण को बढ़ाया जाए। एससी-एसटी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की मांग है। एससी-एसटी को महापंचायत के माध्यम से एक करना मकसद है, ताकि किसी भी मुद्दे पर आगे एकराय रख सकें।

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