कैमरे के शॉर्ट्स पूरे दृश्य का वर्णन कर देते है  :-डॉ सुभाष तलहेड़ी

चार दिवसीय स्क्रिप्ट राइटिंग वर्कशॉप का आयोजन 
मेरठ। किसी भी किरदार में क्रिएटिविटी का होना आवश्यक है यदि क्रिएटिविटी नहीं है तो वह किरदार सफल नहीं हो सकता। कैमरे के शॉर्ट्स पूरे दृश्य का वर्णन कर देते ह। कैमरामैन के लिए यह आवश्यक है कि जो भी दृश्य वह ले रहा है उसकी पूर्ण जानकारी होना आवश्यक है। फ्रेम में सभी ऑब्जेक्ट आ जाने चाहिए दृश्य के लिए आवश्यक है। फिल्में साहित्य का ही एक रूप होती हैं यह ऐसा साहित्य है जो समाज की वास्तविकता से हमें अवगत कराता है साथ ही सामाजिक परिवर्तन का भी एक उत्प्रेरक है। हमारी सोच विचार रहन-सहन संस्कृति परंपराओं को भी प्रभावित करता है इसीलिए एक अच्छे फिल्मकार के लिए यह आवश्यक है कि उन्हें ऐसी विषय वस्तु दिखानी चाहिए जो समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए आवश्यक हो यह बात सुभारती विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के डीन डॉ सुभाष तलहेड़ी ने कही।


           उन्होंने कहा कि हम जो भी फिल्म बना रहे हैं या कोई दृश्य फिल्मा रहे हैं वह तथ्य पूर्ण हो हमें ऐसी चीजों से बचना चाहिए जो असत्य हो भ्रामक हो या जिनकी कोई प्रासंगिकता ना हो तकनीकी पक्ष के साथ ही तथ्य वस्तु पटकथा पर भी ध्यान देना होगा जोकि सरल सहज स्पष्ट परिष्कृत हो संवाद द्विअर्थीय ना हो दर्शकों के हितों का संवर्धन हो सके इसका हमें ख्याल रखना होगा।
पटकथा लेखन के लिए सबसे अहम होता है ऑब्जर्वेशन और विजुलाइजेशन - नितिन यदुवंशी
चार दिवसीय स्क्रिप्ट राइटिंग वर्कशॉप में आज पहले दिन नितिन यदुवंशी ने स्क्रिप्ट राइटिंग के बेसिक पहलुओं पर बात की और बताया कि हम सभी के जीवन में सैकड़ों कहानियां होती है, आपके आस पास ढेरो कहानियां हर वक्त मौजूद है लेकिन उसके लिए लेखक को हमेशा जागरूक रहना पढ़ता है। अपने आस पास के किरदारों को किसी फिल्म या नॉवेल की कहानी में ढालने के लिए ऑब्जर्वेशन सबसे पहली और आधारभूत कड़ी है। तेजी से भागती दौड़ती जिंदगियों में हर इंसान सुकून के लिए फिल्म या नॉवेल पढ़ना पसंद करता है, इसके लिए लेखक की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है की वो अपने ऑडियंस को एक बेहतर अनुभव से गुजारे । चाहे बात किताब लेखन की हो या फिल्म लेखन की, हमेशा ऑडियंस को एक अच्छी स्टोरी, पटकथा की तलाश होती है। नितिन यदुवंशी मानते है की हमारी याददाश्त, हमारी कल्पना और हमारे अनुभव अगर सही फॉर्मेट में एक साथ पिरो दिए जाए तो एक बेहतरीन और यादगार स्क्रिप्ट बनती है।फिल्म की किसी स्क्रिप्ट का रुख कैसे मोड़ना है और किसी सीन के लिए कितनी क्रिएटिविटी चाहिए है यह सब स्पेशल स्क्रिप्ट राइटिंग वर्कशॉप में देखने को मिला। मूवी या टीवीध्वेब सीरीज, नॉवेल या रेडियो के लिए स्क्रिप्ट और स्क्रीन प्ले राइटिंग के अलग अलग तौर तरीके और फॉर्मेटिंग पर के बारे में समझाया गया। इस वर्कशॉप स्टोरी आइडिया कैसे जेनरेट किया जाता है,फिर कैसे एक स्टोरी डिवेलप होती है, कैरेक्टर डेवलपमेंट,  स्क्रिप्ट राइटिंग और स्क्रीनप्ले राइटिंग सहित कई चीजे बताई गई हैं, साथ ही साथ फिल्म इंडस्ट्री में कैसे काम होता है और कोई लेखक कैसे अपने करियर को इस फील्ड में आगे बढ़ा सकता है। इस दौरान तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल के निदेशक प्रो0 प्रशांत कुमार ने सभी का स्वागत किया। डाॅ0 मनोज कुमार श्रीवास्तव, लव कुमार, बीनम यादव, नेहा कक्कड आदि मौजूद रहे।

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