रात्रि जागरण का पर्व है होली

- विनोद कुमार दुबे
राबर्ट्सगंज, सोनभद्र।

होलिका दहन की रात मंत्र जप और ध्यान करने की परंपरा है। ये पर्व रात्रि जागरण का है। इस दिन रात में जागकर मंत्र जप और ध्यान करने की पंरपरा है।
होली की रात मंत्र जप करने पर पूजा जल्दी सफल हो सकती है। संयम रखकर गुरु मंत्र का जप करना चाहिए। मान्यता है कि होली की रात किया गया मंत्र जप पूरे साल प्रभावशाली रहता है। होली, दिवाली, नवरात्रि और शिवरात्रि, ये सभी रात्रि जागरण के पर्व हैं। इन पर्वों पर रात में पूजा करने की परंपरा है। इन त्योहारों पर रात्रि जागरण करना चाहिए। अपने इष्ट देव की पूजा करें और मंत्र जप करें। इस साल होलिका दहन के समय सूर्य-शनि की युति कुंभ राशि में रहेगी। इस कारण ये पर्व तंत्र-मंत्र साधकों के लिए भी खास रहेगी।
होली की राख का उपयोग कर सकते हैं शिव पूजा में
होली जलने के बाद जो राख होती है, वह सामान्य नहीं होती है। होली राख को बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि होली की राख को पानी में मिलाकर स्नान करने से ग्रहों के कई दोष दूर होते हैं। होली की राख का उपयोग शिव पूजा में भस्म के रूप में किया जा सकता है। शिव जी को भस्म चढ़ाने की परंपरा है।



फाल्गुन पूर्णिमा पर कर सकते हैं ये शुभ काम
पूर्णिमा पर तीर्थ स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय सभी तीर्थों का ध्यान करना चाहिए।
शिवलिंग पर जल चढ़ाकर अभिषेक करें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं।
हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।
भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करें। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का भी अभिषेक करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा।
किसी गोशाला में गायों के लिए धन का और हरी घास का दान करें। जरूरतमंद लोगों को खाने-पीने की चीजें, धन, कपड़े, जूते-चप्पल, छाते का दान कर सकते हैं।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts