शिक्षक ही युवा शक्ति के निर्माता होते हैंः रामनाथ कोविंद

अंतर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केन्द्र की राष्ट्रीय संगोष्ठी

वाराणसी। अंतर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केन्द्र की ओर से शैक्षिक जगत के समक्ष उच्च शिक्षा में उभरती चुनौतियां विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि भारत के पूर्व राष्ट्रपति  रामनाथ कोविंद ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में शिक्षक ही युवाशक्ति के निर्माता होते हैं तथा शिक्षक को शिक्षा व्यवस्था में मूलभूत सुधारों के केंद्र में होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चिंतन मनन करना ही शिक्षक का कार्य है। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि सभी स्तरों पर शिक्षकों को हमारे समाज के सबसे सम्मानित और आवश्यक सदस्यों के रूप में फिर से स्थापित किया जाना चाहिए क्योंकि वे वास्तव में नागरिकों की हमारी अगली पीढ़ी को आकार देते हैं ।
संगोष्ठी की अध्यक्षता आई.यू.सी.टी.ई. गवर्निंग बोर्ड के चेयरमैन प्रो . जगमोहन सिंह राजपूत ने किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र में शिक्षाविदों की नियति है कि वे आंतरिक या बाह्य प्रत्येक चुनौती का समाधान प्रस्तुत करें जिनका लोग या राष्ट्र सामना कर सकते हैं ।उन्होंने शिक्षाविदों का आह्वाहन किया कि वे अपनी साख को पुनर्स्थापित करने के लिए और उच्च शिक्षा संस्थानों की विश्वसनीयता को एक बार फिर से उन्नत स्तर पर पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत करें ।  स्वागत भाषण देते हुए हुए केंद्र के निदेशक प्रो . प्रेम नारायण सिंह ने राष्ट्रीय संगोष्ठी की आवश्यकता व रूपरेखा से प्रतिभागियों को अवगत कराया।
मंच संचालन डॉ . रचना विश्वकर्मा व धन्यवाद ज्ञापन केंद्र के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी हरीशचंद्र ने किया। संगोष्ठी का संयोजन डॉ . दीप्ति गुप्ता व सह संयोजन डॉ. कुशाग्री सिंह ने किया।

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