विशेष श्रेणियों की महिलाएं गर्भपात 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह में करा सकती है

साँझा प्रयास नेटवर्क के अन्तर्गत जिला स्तरीय मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन
मेरठ। मंगलवार को ग्रामीण समाज विकास केन्द्र और साँझा प्रयास नेटवर्क के सहयोग से मीडिया के साथ एक संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में ग्रामीण समाज विकास केन्द्र से मेहरचन्द,साँझा प्रयास सचिवालय से सीनियर रिसर्च एंड ट्रेनिंग प्रोग्राम ऑफिसर रत्ना शर्मा, ट्रेनिंग एंड रिसर्च ऑफिसर आदि ने प्रतिभाग कर एम.टी.पी.एक्ट 2021 संशोधन विषय पर मीडिया, संवेदीकरण एंव जानकारी के महत्व पर अपने विचार रखे।
 कार्यक्रम का शुभारंभ ट्रेनिंग एंड रिसर्च ऑफिसर द्वारा किया गया। सीनियर रिसर्च एंड ट्रेनिंग प्रोग्राम ऑफिसर रत्ना शर्मा ने बताया कि, एम टी पी एक्ट 1971 के अनुसार 20 सप्ताह तक कानून वैध है हॉल ही में एम टी पी एक्ट 2021 में संशोधन हुए है जिसमें  विशेष श्रेणियों की महिलाओं के लिए गर्भपात की ऊपरी सीमा को 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दिया गया है, पर्याप्त भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भसमापन को मान्य किया गया है, किसी भी महिला या उसके साथी द्वारा प्रयोग किये गये गर्भनिरोधक की विफलता की स्थिति में गर्भपात सेवायें दी जा सकेंगी(20 सप्ताह तक), 20 सप्ताह तक एमटीपी (गर्भसमापन)के लिये एक आरएमपी और 20-24 सप्ताह के लिए दो आरएमपी की राय चाहिये , गोपनीयता को कड़ाई से बनाये रखा जाना आवश्यक है   अधिनियम संशोधन के पहले बिन्दु में महिलाओ की विशेष श्रेणी में निम्न को शामिल किया गया ह, यौन हमले या बलात्कार या अनाचार के उत्तरजीवी, नाबालिग, चल रही गर्भावस्था के दौरान वैवाहिक स्थिति में परिवर्तन (वैधव्य या तलाक), शारीरिक विकलांग महिलायें (विकलांगता अधिनियम 2016), मानसिक मंदता सहित मानसिक रूप से बीमार महिलायें, पर्याप्त भ्रूण विकृति की स्थिति में आपदा या आपातकालीन स्थितियों में (जैसा कि सरकार द्वारा घोषित किया गया हो)   एन.एफ.एच.एस.-5 के अनुसार 47.6 प्रतिशत गर्भपात का कारण अनियोजित गर्भधारण है, और 26.2 प्रतिशत गर्भपात घर पर किये जाते है। देश में गर्भपात हेतु मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट, 1971(चिकित्सकीय गर्भ समापन अधिनियम) लागू है लेकिन गर्भ समापन सम्बन्धी कानूनी जानकारी का लोगों में अभाव है, ऐसे में बहुत जरुरी है कि सुरक्षित गर्भ समापन सेवाओं एंव परिवार नियोजन साधनों से संबंधित जानकारी वृहद स्तर पर लोगों तक पहुंचे जिसमें मीडिया की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है।

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