किसानों को कर्ज नहीं फसलों का भाव दे सरकार, यह बजट सिर्फआंकडों का बजट है-भाकियू


मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर के राजकीय इण्टर कालेज के मैदान में आज धरने का पांचवा दिन था और किसान सरकार के द्वारा पेश होने वाले बजट से आस लगाये हुए थे कि कुछ न कुछ ऐसा होगा जो किसान हितों के लिए लाभदायी साबित होगा, लेकिन किसान के हाथ कुछ नहीं आया। अमृतकाल का यह बजट किसानों को ऋणकाल से अंधकारकाल में ले जाने वाला है। सरकार ने अपने बजट पर पूर्व में भी कई वायदे किसानों के साथ किए हैं, लेकिन योजना को लाने के बाद धरातल पर कोई भी लाभ किसानों को नहीं पहुंचा है। सरकार ने अपने बजट में कहा कि वह किसानों को 20 लाख करोड़ तक क्रेडिट कार्ड के जरिए ऋण बांटने का लक्ष्य पूरा करेगी, लेकिन इसमें किसानों को कोई फायदा होने वाला नहीं है। किसान की भूमि बैंक में बंधक हो जाएगी और आने वाले सालों में उसे अधिग्रहण कर सरकार व बैंक दिया हुआ कर्ज जमीन के माध्यम से वसूल लेंगे। किसान को कर्ज नहीं फसलों के भाव व गारंटी कानून देने का काम सरकार करें। आज बजट में किसान दूर-दूर तक भी नजर नहीं आया, दिखायी दे रहे थे तो सिर्फ सरकार के द्वारा पेश किए जा रहे आंकड़ें। कुछ रिपोर्टिंग एजेन्सियों ने अपने द्वारा किए गए सर्वे में कहा है कि अगर सरकार कृषि क्षेत्र में लगभग 270 अरब डाॅलर का निवेश करे तो 2031 तक 800 अरब डाॅलर सरकार को राजस्व के रूप में प्राप्त होगा। देश वैश्विक खाद्यान्न संकट के दौर से गुजर रहा है। सरकार के आंकड़े और धरातल के आंकड़ों में जमीन आसमान का अन्तर है। अगर सरकार किसानों को फसलों की गारंटी कानून व वाजिब भाव दे तो देश का अन्नदाता उत्पादन करके चल रहे खाद्यान्न संकट को दूर कर सकता है। 

देश के अन्दर घटता हुआ कृषि क्षेत्रफल और उत्पादन किसान के सामने चट्टान की तरह खड़ा हैं जिसका अनुभव पूर्व में गेंहू के उत्पादन व क्षेत्रफल में 2021-22 के सत्र में देश देख चुका है और इसका कटु अनुभव व जानकारी सरकार को भी है। सरकार कृषि यंत्रों से जीएसटी हटाकर किसानों को कुछ राहत पहुंचा सकती थी, लेकिन वो भी नहीं हुआ। आने वाले समय में सरकार अगर किसान की ओर नहीं देखेगी तो परिणाम और भयावह होंगें। भारतीय किसान यूनियन आज आए बजट को सिरे से नकारती है, क्योंकि यह बजट सिर्फ आंकड़ों का बजट है।

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