गहन मंथन जरूरी

रिमोट वोटिंग सिस्टम का तैयार होना निस्संदेह चुनाव प्रक्रिया को प्रवासी मतदाताओं की सुविधा के अनुरूप बनाने की दिशा में अभिनव कदम है, लेकिन जरूरी है कि व्यवस्था पारदर्शी हो। इसके क्रियान्वयन से पहले इससे जुड़े कानूनी, प्रशासनिक तथा तकनीकी पक्षों पर गहन मंथन जरूरी है। दरअसल, चुनाव आयोग ने उन मतदाताओं की सुविधा के लिये रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन विकसित की है जो कामकाज के सिलसिले में अपने मूल स्थानों से दूर-दराज के इलाकों में रह रहे हैं। जाहिरा तौर पर अपना काम-धंधा छोड़कर और आवागमन का खर्च करके वोट डालने जाने में लाखों लोग गुरेज करते हैं। श्रमिक वर्ग की सोच रहती है कि कई दिन की दिहाड़ी मारी जायेगी। वहीं राजनेताओं की विश्वसनीयता का क्षरण भी उसे उद्वेलित करता है। आम धारणा होती है कि सामाजिक सरोकारों के प्रति जनप्रतिनिधियों का रवैया संवेदनशील नहीं रहता। ये स्थिति करोड़ों मतदाताओं को मतदान स्थल पहुंचने के लिये प्रेरित नहीं करती। ग्रामीण क्षेत्रों व कस्बों में रोजगार का गिरता ग्राफ करोड़ों लोगों को देश के विभिन्न भागों में काम करने के लिये जाने को बाध्य करता है। वैसे भी मौजूदा आर्थिक परिदृश्य में घर के पास मनमाफिक रोजगार मिल पाना सहज भी नहीं है। हर व्यक्ति की योग्यता के अनुरूप काम अपना घर-बार छोड़कर ही मिल सकता है। मगर मन में यह भाव रहता है कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनें। निस्संदेह रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन विकसित होने की पहल से उनकी आकांक्षा पूरी हो सकेगी और उनका आर्थिक नुकसान भी नहीं होगा। अब चुनाव आयोग की पहल के बाद देश के करोड़ों लोगों में चुनाव प्रक्रिया में भागीदारी का उत्साह फिर से कायम हो पायेगा। बहुत संभव है कि चुनाव आयोग की इस पहल के बाद विभिन्न क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत में वृद्धि हो। कालांतर में ऐसी व्यवस्था देश में की जानी चाहिए कि अल्पकाल के लिये यात्रा में निकले, वृद्ध व बीमार मतदाताओं को सुविधानुसार मतदान का अधिकार मिले। दरअसल, मतदान के दौरान यातायात,मौसम व अन्य बाधाओं के कारण बड़ी संख्या में लोग मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंच पाते। लोगों की इच्छा तो होती है कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लें। लेकिन चाहकर भी परिस्थितिवश वे भाग नहीं ले पाते। यही वजह है कि देश में करोड़ों व्यक्ति इच्छा होने के बावजूद मतदान नहीं कर पाते। निस्संदेह, आने वाले वर्षों में आयोग की इस पहल के सिरे चढ़ने के बाद मतदान के प्रतिशत में अपेक्षित सुधार हो सकेगा। विश्वास है कि देश का राजनीतिक वर्ग इस पहल का स्वागत करेगा। हाल के दिनों में ईवीएम मशीनों को लेकर जैसी राजनीति की जाती रही है, वह भी मतदाताओं का उत्साह कम करती है। यह विडंबना ही है कि देश की चुनाव प्रक्रिया जिन विद्रूपताओं और विसंगतियों से जूझ रही है उसे दूर करने के लिये राजनीतिक दलों द्वारा ईमानदार पहल होती नजर नहीं आती है। कहने को देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। लेकिन उसे पारदर्शी व विश्वसनीय चुनाव प्रक्रिया देने के प्रयासों को पलीता लगाने में तमाम राजनीतिक दल पीछे नहीं हैं। कोई लोकतंत्र तभी बड़ा और समृद्ध होगा जब वहां राजनीतिक शुचिता को प्राथमिकता दी जायेगी। यदि राजनीतिक दल चुनाव प्रक्रिया में बाधक तत्वों को दूर करने में चुनाव आयोग का सहयोग करें तो कोई वजह नहीं है कि भारत की चुनाव प्रक्रिया विश्व के लोकतांत्रिक देशों के लिये अनुकरणीय बन जाये। निस्संदेह रिमोट ईवीएम की उपलब्धता चुनाव सुधारों की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि इससे चुनाव प्रक्रिया में ऐसे ही अन्य सुधारों का मार्ग भी प्रशस्त होगा। 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts