पूर्व मंत्री सुरेश राणा सहित तीन भाजपा नेता दोष मुक्त

- बोले सत्य की हुई जीत

शामली।
शामली जनपद में वर्ष 2013 में हुए बवाल प्रकरण में विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा सहित तीन भाजपा नेताओं को दोष मुक्त करार दिया है।
गौरतलब है कि 2013 में शामली में उत्तराखंड की युवती से सामूहिक दुष्कर्म के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर भाजपा नेता धरने पर बैठे थे। इस दौरान बवाल होने पर पुलिस ने भाजपा नेताओ पर मुकदमा दर्ज किया था। कोर्ट के निर्णय के बाद पूर्व मंत्री ने कहा कि उस समय सत्ताधारी समाजवादी पार्टी ने भाजपा नेताओं को डराने के लिए फर्जी मुकदमा लगाया था, यह सत्य और न्यााय की जीत हुई है।
जून 2013 को शामली में हरिद्वार की एक युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात हुई थी, जिसका आरोप दूसरे संप्रदाय के युवकों पर लगा था। इसी वारदात के विरोध में भाजपा नेता और हिंदू संगठनों के लोगों ने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर शामली में शिव मूर्ति पर धरना दिया था। तत्कालीन एसपी अब्दुल हमीद ने धरना दे रहे भाजपाईयों पर लाठी चार्ज करवा दिया था। जिसके बाद पथराव और आगजनी हुई थी।
घटना के कई दिन बाद पुलिस ने भाजपा नेता सुरेश राणा, घनश्याम पार्चा व उनके भाई राधेश्याम पार्चा सहित सैकड़ों अज्ञात के विरूद्ध मुकदमा दर्ज किया था।
मंगलवार को न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार ने दोनों पक्षों की दलील सुनने एवं पत्रावलियों का अवलोकन करने के बाद 30 पन्नों का अपना निर्णय सुनाया। जिसमें कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा सहित उपरोक्त तीनों भाजपा नेताओं को दोष मुक्त करार दिया है।

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