सजा में छूट के पात्र कैदियों की रिहाई का ब्योरा मुहैया कराएं

सुप्रीमकोर्ट ने यूपी के डीजीपी को दिया निर्देश
नई दिल्ली (एजेंसी)।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कई मामलों की सुनवाई की। यूपी के एक मामले में राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश दिया है कि वे राज्य में दोषियों को सजा में दी गई छूट के बाद कितनों को रिहाई का लाभ दिया गया, इसका ब्योरा दें। डीजीपी इस बारे में निजी तौर पर शीर्ष कोर्ट में हलफनामा दायर करें।
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कई निर्देश जारी करते हुए यूपी के डीजीपी से यह जानकारी मांगी। उन्होंने कहा कि यह बताएं कि राज्य के प्रत्येक जिले में कितने दोषी हैं, जो समय से पहले रिहाई के पात्र हैं।
सुनवाई कर रही पीठ में जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी मौजूद थे। कोर्ट ने डीजीपी से पूछा कि दोषियों को सजा में छूट के फैसले के बाद से समय से पहले रिहाई के कितने मामलों पर विचार किया गया। शीर्ष अदालत ने राज्य के अधिकारियों के पास छूट के लंबित मामलों का विवरण और इन मामलों पर कब तक विचार किया जाएगा, यह जानकारी भी मांगी है।
ऋषि मल्होत्रा न्याय मित्र नियुक्त
उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि डीजीपी तीन सप्ताह में मामले की आवश्यक जानकारी देते हुए निजी हलफनामा दाखिल करें। अदालत ने इसकी सहायता के लिए वकील ऋषि मल्होत्रा को एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) भी नियुक्त किया।
इससे पहले शीर्ष कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में आजीवन कारावास की सजा काट रहे लगभग 500 दोषियों को छूट लेकर कई निर्देश जारी किए थे। फैसले में कहा गया था कि आजीवन कारावास वाले कैदियों की समयपूर्व रिहाई के सभी मामलों पर राज्य की अगस्त 2018 की नीति के अनुसार विचार किया जाए।

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