मानसिक रूप से अस्वस्थ होने पर झाड़फूंक के चक्कर में न पड़ें, उपचार कराएं : डा. यतेन्द्र

सीएचसी भंगेल पर मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता व उपचार शिविर का आयोजन

250 लोगों ने शिविर का लाभ उठाया

नोएडा। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) भंगेल पर बुधवार को विशाल राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता व उपचार शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का शुभारंभ सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. यतेंद्र कुमार ने फीता काटकर किया। इस अवसर पर डा. यतेन्द्र ने कहा- किसी भी तरह की मानसिक अस्वस्थता की स्थिति में मनोचिकित्सक से परामर्श कर उपचार कराएं, किसी भी तरह की झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़ें। मानसिक रोग भी शारीरिक बीमारियों की तरह हैं इनका उपचार संभव है।


डा. यतेन्द्र ने कहा- आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में चिंता, तनाव, डिप्रेशन बढ़ गया है। हर आदमी किसी न किसी समस्या में उलझा हुआ है। लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने की जरूरत है। सभी लोग मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रहें और अपने स्वास्थ्य की जांच कराते रहे इसके लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर स्वास्थ्य शिविर आयोजित किये जा रहे हैं। शिविर में मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों की काउंसलिंग की जाती है उन्हें जरूरत के मुताबिक दवा उपलब्ध करायी जाती हैं और जरूरत पड़ने पर जिला अस्पताल रेफर किया जाता है।


   शिविर में मुख्य रूप से जिला मानसिक स्वास्थ्य की टीम ने लोगों की काउंसलिंग की और उन्हें दवा उपलब्ध करायीं। इसके अलावा शिविर में लोगों के ब्लड प्रेशर, शुगर, दांत व अन्य रोगों की जांच की गयी और उन्हें परामर्श दिया गया। शिविर में क्षय रोग विभाग की ओर से टीबी जांच के लिए भी स्टॉल लगाया गया, जहां टीबी की जांच की गयी। लैब टेक्नीशियन खेमराज ने बताया शिविर में दस लोग ऐसे थे, जिन्हें खांसी और बुखार की शिकायत थी। दो लोग ऐसे मिले जिनमें टीबी जैसे लक्षण नजर आये, उनका बलगम लेकर जांच के लिए भेजा गया है। करीब 250 लोगों ने शिविर का लाभ उठाया।


आत्महत्या करने का मन करता है  


महेश कुमार (बदला हुआ नाम) मानसिक स्वास्थ्य की टीम के समक्ष जांच के लिए पहुंचे। उन्होंने बताया वह पेशे से इँजीनियर हैं और निजी संस्था में काम करते हैं। इन दिनों वह बहुत परेशान हैं, उनके मन में आत्महत्या के विचार आते हैं। उन्हें लगता है आत्महत्या कर सभी झंझटों से दूर हो जाएं। इसी कारण वह नशा भी करने लगे हैं। इस पर टीम की एक सदस्य ने उनकी काउंसलिंग की और उन्हें समझाया कि वह नकारात्मकता को छोड़ कर सकारात्मक रवैया अपनाएं।  नशा किसी समस्या का हल नहीं है। बल्कि नशा बीमारियों को और बढ़ाता है। योग करें, बच्चों के साथ समय बितायें। उनको कुछ दवा दी गयी और जिला अस्पताल की मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की ओपीडी के लिए रेफर किया गया। इसी तरह के तमाम मानसिक रूप से परेशान और रोगी शिविर में पहुंचे। सभी को परामर्श और उपचार उपलब्ध कराया गया।


शिविर में मनोचिकित्सक डा. तनुजा गुप्ता ने मानसिक रोग के लक्षण के बारे में बताया। उन्होंने बताया- नींद न आना या देर से आना, उदास या मायूस रहना, बेहोशी का दौरा आना, बेवजह शक करना, बुद्धि का विकास कम होना, किसी प्रकार का नशा करना, चिंता, घबराहट उल्टी आदि होना, सिर दर्द या भारीपन बने रहना, आत्महत्या के विचार आना आदि मानसिक रोगों के लक्षण हैं।


साइकेट्रिस्ट सोशल वर्कर रजनी सूरी ने डिप्रेशन, ओसीडी, फोबिया के लक्षण, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट नीति सिंह ने मंदबुद्धि, एडीएचडी, आटिज्म के बारे में बताया। कम्युनिटी नर्स शिवानी से मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता को लेकर पैम्प्लेट्स और मरीजों को दवा प्रदान की। 



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