अधिकारी अपने.अपने जिलों से ऐसे उत्पाद की सूची बनाये जिनकी रही हो कोई ऐतिहासिक पहचान:-आयुक्त

आयुक्त की अध्यक्षता में एनआईसी में किया गया जी.आई. टैगिंग विषय के संबंध में वेबिनार का आयोजन
मेरठ । गुरुवार एनआईसी में आयुक्त सेल्वा कुमारी जे की अध्यक्षता में जीआई टैगिंग विषय के संबंध में वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में आयुक्त द्वारा मंडल के सभी जिलों के उपस्थित अधिकारियों को निर्देशित किया कि अपने.अपने जिलों से ऐसे उत्पाद की सूची बनाये जिनकी कोई ऐतिहासिक पहचान रही हो। उन्होंने कहा कि ऐसा उत्पाद किसी एकल परिवार का न हो। जीआई टैग के लिए किसान, समिति, स्थानीय रजिस्टर्ड संस्था आवेदन कर सकती है। उन्होंने बताया कि नाबार्ड इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
वेबिनार में पद्मश्री डा. रजनीकांत द्विवेदी ने किसी भी उत्पाद को जीआई टैगिंग कराने में आवेदन से लेकर रजिस्ट्रेशन तक की प्रक्रिया को विस्तृत रूप से बताया। उन्होने कहा कि विवि, रिसर्च सेंटर से निकलने वाले उत्पाद हाइब्रिड वैरायटी तथा जल्द खराब होने वाले उत्पाद को जीआई टैगिंग नहीं की जाती है। उन्होंने कहा कि भारत में केवल चेन्नई में जीआई ऑफिस है। जीआई ऑथराइज्ड यूजर नंबर मिलने के बाद लोगो, एरिया, उत्पाद का नाम एक साथ रजिस्टर हो जाता है तत्पश्चात् ही उत्पाद को मेला, प्रदर्शनी आदि में भेज सकते है। जीआई होने के बाद निगरानी की आवश्यकता होती है, यह दस वर्षो के लिए मान्य होता है तत्पश्चात् इसका रिन्वयुअल कराना पड़ता है।
इस अवसर पर अपर आयुक्त चैत्रा वी, जिलाधिकारी दीपक मीणा, सहायक कृषि विपणन अधिकारी मंडल सहित अन्य जनपदों के संबंधित अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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