जबरन मतांतरण कराने का मामला
केंद्र ने कोर्ट में दाखिल किया हलफनामाकहा- नौ राज्यों में पहले से लागू कानून है
नई दिल्ली (एजेंसी)।
जबरन मतांतरण मामले में केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। केंद्र ने कहा है कि इस मामले की गंभीरता से वह अवगत है और जबरन होने वाले धर्मांतरण को रोकने के लिए सरकार जल्द ही कानून बनाएगी।
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा, धार्मिक स्वतंत्रता का मतलब यह है नहीं है कि धोखाधड़ी, प्रलोभन व अन्य माध्यम से किसी व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराया जाए।
केंद्र ने कहा, ऐसे मामलों पर रोक लगाने के लिए नौ राज्यों में कानून है। इसमें- ओडिशा, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक व हरियाणा शामिल हैं। यहां धर्मांतरण कानून बना हुआ है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि महिलाओं व आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए इस तरह के अधिनियम आवश्यक हैं।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ याचिका दायर की गई है। वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में इस पर कानून बनाकर रोकने की मांग की थी। कहा गया है कि इसे रोकने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को कड़े कदम उठाने होंगे।
इस मामले में 14 नवंबर को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि धर्म की आजादी हो सकती है, लेकिन जबरन धर्म परिवर्तन की कोई स्वतंत्रता नहीं है। केंद्र सरकार ने क्या कदम उठाए हैं। अपना रुख स्पष्ट करें कि आप क्या कार्रवाई करने का प्रस्ताव रखते हैं। संविधान के तहत धर्मांतरण कानूनी है, पर जबरन नहीं हो सकता।
जबरन मतांतरण मामले में केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। केंद्र ने कहा है कि इस मामले की गंभीरता से वह अवगत है और जबरन होने वाले धर्मांतरण को रोकने के लिए सरकार जल्द ही कानून बनाएगी।
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा, धार्मिक स्वतंत्रता का मतलब यह है नहीं है कि धोखाधड़ी, प्रलोभन व अन्य माध्यम से किसी व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराया जाए।
केंद्र ने कहा, ऐसे मामलों पर रोक लगाने के लिए नौ राज्यों में कानून है। इसमें- ओडिशा, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक व हरियाणा शामिल हैं। यहां धर्मांतरण कानून बना हुआ है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि महिलाओं व आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए इस तरह के अधिनियम आवश्यक हैं।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ याचिका दायर की गई है। वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में इस पर कानून बनाकर रोकने की मांग की थी। कहा गया है कि इसे रोकने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को कड़े कदम उठाने होंगे।
इस मामले में 14 नवंबर को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि धर्म की आजादी हो सकती है, लेकिन जबरन धर्म परिवर्तन की कोई स्वतंत्रता नहीं है। केंद्र सरकार ने क्या कदम उठाए हैं। अपना रुख स्पष्ट करें कि आप क्या कार्रवाई करने का प्रस्ताव रखते हैं। संविधान के तहत धर्मांतरण कानूनी है, पर जबरन नहीं हो सकता।
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