किसी का कर भला तू भी, तभी तेरा भला होगा, तपा होगा जो अग्नि मे, वही कुंदन बना होगा- ईश्वर चंद गंभीर 

सरधना (मेरठ) सरधना तहसील के मुख्य द्धारा के सामने स्तिथ अधिवक्ता जितेंद्र पांचाल के "पांचाल लॉ चेम्बर्स "के उदघाटन अवसर पर सरधना विधायक अतुल प्रधान ने बतौर मुख्य अतिथि फीता चेंम्बर का उदघाटन विधिवत रूप से फीता काट कर कियाl इस अवसर पर अतुल प्रधान ने अधिवक्ता हितो की बात करते हुए कहा कि उन्होंने विधानसभा मे भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए हाई कोर्ट की बेंच का मुद्दा पुरजोर तरिके से उठाया था और भविष्य मे भी विधानसभा सत्र चलने पर उठाएंगे l अधिवक्ताओ ने उनके इस समर्थन की प्रशंसा  की l

पांचाल लॉ चेबर्स के उदघाटन अवसर पर एक कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन भी किया गया जिसका शीर्षक "कवियों की बात, न्याय के साथ रहा l कवि सम्मेलन व मुशायरे का प्रारम्भ माँ सरस्वती की वंदना से किया गया, सरस्वती वंदना मेरठ से पधारे कवि सुल्तान सिंह सुल्तान ने की l मेरठ से पधारे वरिष्ठ कवि डा. ईश्वर चंद गंभीर ने अपनी रचना मे कहा --" किसी का कर भला तू भी, तभी तेरा भला होगा

तपा होगा जो अग्नि मे, वही कुंदन बना होगा


परेशां देख होता है, क्यों उसको बुलंदी पर


कभी सोचा है ये तूने कि वो कितना चला होगा l


कवि डा. रामगोपाल भारतीय ने अपनी रचना मे मजहबी एकता का संदेश देते हुए कहा कि ---


हादसा दर हादसा है, सोचता कोई नहीं


सोच ही बीमार हो तो, फिर दवा कोई नहीं


पूछते हैं लोग अब तो, मरने वाले का मजहब


क्यूँ मरा, कैसे मरा, ये पूछता कोई नहीं l


कवि चंद्र शेखर मयूर ने किसान और जवान का पक्ष रखते हुए अपनी रचना मे कहा ----


रहे दिन रात खेतो मे वो बेटे हैं धरा माँ के


भूमि सींचे पसीने से, वो बेटे हैं धरा माँ के


जो सीमाओं पे लड़ते हैं, हमारी ही सुरक्षा मे


शहादत देके जाते हैं जो, वो बेटे हैं धरा माँ के l


मेरठ से पधारे वरिष्ठ शायर इरशाद बेताब ने अपने कलाम मे कहा -----


ख्वाब हकीकत बन जायेगा


साथ मेरे जब तू आएगा


तुझसे जन्नत है ये दुनिया


तेरे बिना क्या रह पायेगा


सामाजिक विसंगतियों पर तंज करते हुए कवि योगेश समदर्शि ने कहा ----


नीम के पेड़ गांव गांव मे हैं कट गए


किन्तु कड़वाहट सी बढ़ी है जबान मे


भाषा की मिठास आज किसी मे दीखती नहीं


खून की मिठास, आज बनी है इंसान मे


मशहूर शायर शाहिद मिर्जा शाहिद ने प्यार का पैगाम देते हुए अपनी रचना पढ़ते हुए


 कहा ------


जहनो मे भेदभाव की दीवार किस लिए


सबका खुदा वही है तो तकरार किस लिए


पैगाम इनके प्यार का किसने चुरा लिया


अंदेशा लेके आते है, त्यौहार किस लिए l


उर्दू अदब के विख्यात शायर डा. फुरकान अहमद सरधनवीं ने अपने अशआर मे पेश किया


हर एक शख्स का हम अहतराम करते हैं


के दुश्मनो को भी हम, झुक कर सलाम करते हैं


सरो को अपने कटाते हैं जो, वतन के लिए


हम उनका दिल से अदब -अहतराम करते हैं


मुकामी शायर ताहिर नसीम ने कहा ----


इंसान का खूँ शामों -सहर देख रहे हैं


हम तेरी कयादत का असर देख रहे हैं


क्या शान हा गुजरा है चमन मे नहीं मालूम


बिखरे हुए बुल बुल के ये पर देख रहे हैं l


हिंदी के विख्यात कवि सुमनेश सुमन कार्यक्रम के अंतिम दौर मे पहुंचे तथा अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध कर दिया


इसके आलावा मेरठ से आई कवियित्री रामकुमारी व डा. कविता मधुर ने अपनी सुरीली आवाज़ मे कवि सम्मेलन को ऊंचाइयों तक पहुंचाया तथा श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी l मुकामी शायर याक़ूब मोहसिन, ताबिश सरधनवीं, इरशाद अहमद, सफीक अहमद सफीक, मा. अब्दुल सलाम फरीदी, दिनेश गोयल एडवोकेट हाजी याक़ूब मोहसिन आदि ने भी अपनी रचनाओं पर दाद बटोरी l


कार्यक्रम की निज़ामत इरशाद बेताब ने की


कार्यक्रम में विशेष रूप से सरधना बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मेरबानअली अंसारी, प्रमोद सैनी एडवोकेट,पूर्व चेयरमेन निज़ाम अंसारी, शबी अख्तर रिज़वी, पुरसोत्तम उपाध्यय  कुलदीप त्यागी एडवोकेट, प्रशांत त्यागी, अशोक त्यागी, सोहित त्यागी, जिया उर रहमान, रविंद्र सिंह, शाहवेज अंसारी, जीशान कुरैशी, डा. महेश सोम, डी के सिरोही इरफ़ान जावेद सिद्दीकी, सुहेल शाह, मा. दीपक शर्मा, मनमोहन त्यागी, रामछेल पांचाल, महेश खेकड़ा, नरेंद्र आदि का विशेष सहयोग रहा l अंत मे कार्यक्रम संयोजक जितेंद्र पांचाल ने सभी अतिथियों व कवियों का आभार व्यक्त  किया l

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