तुरंत सीपीआर से ही बचेगी जिंदगी

पिछले कुछ महीनों से हंसते-गाते, चलते-फिरते लोगों की अचानक मौत के समाचार मिल रहे हैं। कोई डांस करते-करते तो कोई गाते-गाते अचानक गिरकर बेहोश हो गया और कुछ ही मिनटों में उसकी जान चली गई। पिछले दो-तीन दिन में कुछ ऐसे हादसे सामने आए हैं, जिन्होंने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर हमारी जान का दुश्मन कौन है। हृदय रोग विशेषज्ञ इसे सडन कार्डियक अरेस्ट मान रहे हैं। जानिये सडन कार्डियक अरेस्ट क्या है।
सडन कार्डियक अरेस्ट कभी भी हो जाता है। कार्डियक अरेस्ट होने पर हार्ट के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में खराबी आ जाती है। इस दौरान दिल अचानक काम करना बंद कर देता है और हार्ट के सभी फंक्शन रुक जाते हैं। दिल के अचानक काम बंद करने से ब्रेन, लंग्स समेत अन्य महत्वपूर्ण अंगों तक ब्लड नहीं पहुंच पाता। ऐसे में मरीज की पल्स बंद होने लगती है और उसे बेहोशी आ जाती है। इस स्थिति में मरीज को तुरंत सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन) देना चाहिए और समय पर अस्पताल पहुंचाएं। मरीज को समय पर इलाज नहीं मिला तो कुछ ही मिनटों में उसकी मौत हो जाती है।
सडन कार्डियेक अरेस्ट (एससीए) आने पर दिल की धड़कनें बहुत तेज हो जाती हैं। इस अनियमित हार्टबीट को मेडिकल लैंग्वेज में एरिथमिया कहते हैं। एरिथमिया में खून पंप करने वाले हार्ट चैंबर में कंपन होती है, जिससे दिल की धड़कनें अनियमित हो जाती हैं। एससीए हृदय की ऐसी स्थिति है जिसमें धड़कनें सामान्य (60-100 प्रति मिनट) से 300-400 तक हो जाती हैं और ब्लड प्रेशर अचानक गिरने लगता है। साथ ही हृदय की विद्युतीय तरंगों में अनियमितता आ जाती है। ऐसे में हृदय की पंपिंग प्रक्रिया प्रभावित होने से रक्त अन्य अंगों तक नहीं पहुंचता है।

हार्ट अटैक के ज्यादातर मामलों में एससीए वजह नहीं होता, लेकिन सडन कार्डियक अरेस्ट के अधिकतर केस हार्ट अटैक के कारण हो सकते हैं। रोग का कारक हृदय की धमनियों में असमानता है। आनुवंशिक रूप से यदि किसी के परिवार में 50 से कम उम्र में ही एससीए की वजह से मौत हुई हो उनमें इसकी आशंका ज्यादा होती है। जिन्हें कोरोनरी आर्टरी डिजीज की वजह से हार्ट अटैक हुआ हो या डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, धूम्रपान व शराब पीने वालों को इसका अधिक खतरा रहता है।
दोनों में अंतर
सडन कार्डियक अरेस्ट के रोग में पहले कोई खास संकेत नजर नहीं आते और मरीज की धड़कनें किसी भी समय अनियमित हो सकती हैं। एससीए के तुरंत बाद 3-6 मिनट में सीपीआर (हाथों से दबाव बनाना) या इलेक्ट्रिक शॉक न दिया जाए तो अवस्था जानलेवा हो सकती है। ऐसे मामलों में करीब 75 प्रतिशत से अधिक लोग इस रोग को गंभीरता से नहीं लेते व हृदय गति तेज होने पर हार्ट अटैक समझ लेते हैं जो गलत है। वहीं हार्ट अटैक होने का एक बड़ा कारण खराब कोलेस्ट्रॉल होता है जिसके बढ़ने से हार्ट की आर्टरीज ब्लॉक होने लगती हैं, जब ब्लॉकेज 100 फीसदी के करीब हो जाती है तो हार्ट तक ब्लड का सर्कुलेशन नहीं हो पाता जिस वजह से हार्ट अटैक आ जाता है।
ज्यादा एक्सरसाइज भी खतरनाक
उम्र के साथ कोरोनरी आर्टरी रोग (सीएडी) बढ़ जाता है। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में यह समस्या ज्‍यादा होती है। ऐसे भी कई मामले देखे गए हैं जब अत्‍यधिक व्‍यायाम के तुरंत बाद व्‍यक्ति की अचानक मौत हो गई। ज्यादा एक्सरसाइज की वजह से अधिक उम्र के वयस्कों में मायोकार्डियल इस्‍चेमिया हो सकता है जो हार्ट अटैक और उसकी वजह से अचानक मौत का कारण बनता है। इस प्रकार की मौत युवाओं को भी घेर सकती है जो कि आमतौर पर हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी तथा हृदय के असामान्‍य इलेक्ट्रिकल सिस्‍टम और प्रोपेगेशन की वजह से होता है। ऐसे में हमें जिम में जाने से पहले अपना मेडिकल कराना चाहिए, ताकि पता चल सके कि कितनी और कौन सी एक्सरसाइज करनी है।
ये करें बचाव
हेल्दी लाइफस्टाइल को अपने जीवन में अपनाएं। साथ ही अपनी जिंदगी में खाने-पीने से लेकर सोने तक सभी चीजों का समय और नियम बनाएं। इसके अलावा ज्यादा तनाव न लें। वहीं हेल्दी खाना खाएं। कम तेल, कम कोलेस्ट्रॉल और कम कार्ब वाला भोजन खाएं। यह भी कि मीठी चीजें खाने पर भी अंकुश लगाएं। जरूरी है कि शराब और सिगरेट से बचें क्योंकि इससे आपको हार्ट संबंधी परेशानी हो सकती है।
पहले 10 मिनट में सीपीआर जरूरी
डाक्टरों का कहना है कि कार्डियक अरेस्ट वाले व्यक्ति के लिए पहले कुछ मिनट बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। यदि 10 मिनट के अंदर कोलेप्स हुए व्यक्ति को घटनास्थल पर मौजूद कोई व्यक्ति कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) देता है तो उस व्यक्ति के कार्डियक अटैक से बचने की संभावना 40 से 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। अस्पताल ले जाने तक मरीज को सीपीआर देते रहें और व्यक्ति का हार्ट डिफाइब्रिलेशन कर सकता है। यदि यह पहले 10 मिनट में नहीं किया जाता है तो बचने की संभावना बहुत कम रह जाती है।

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