ऊर्जा निगम के एक उच्चाधिकारी जनपद में हुए तबादलों के मामले में फंसे:

सामाजिक कार्यकर्ता ने शासन से सबूतों के साथ की थी शिकायत


 हापुड़

ऊर्जा निगम के एक उच्च अधिकारी जनपद में हुए तबादलों के मामले में फंस गये हैं। शासन के निर्देश पर पीवीवीएनएल के एमडी अरविंद मल्लप्पा बंगारी प्रकरण की जांच कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता नरेश शर्मा ने कारपोरेशन के चेयरमैन एम देवराज को शिकायती पत्र सबूतों के साथ भेजा था। जिसका संज्ञान लेकर शासन ने कड़ी कार्रवाई की है। बता दें लगभग 4 वर्षों से हापुड़ सर्किल का प्रभार संभाल रहे एसई यू के सिंह अधीनस्थों का मनमर्जी से तबादला कर सेटिंग के बाद फिर से निरस्त कर देते हैं। भाजपा शासन की ऊर्जा निगम के अधिकारियों को ट्रांसफर में मिली छूट का लाभ विभागीय अधिकारी जमकर उठा रहे हैं। आवास विकास दफ्तर पर लंबे समय से तैनात एसई विगत 1 वर्ष से कर्मचारियों का उत्पीड़न कर रहे हैं। जांच में पाया गया है कि एस ई ने 4 जेई के तबादले सुबह जारी कर शाम को आदेशों को निरस्त कर दिया। राजकुमार जेई को 5/8/22 को प्रातः स्थान्तरित कर शाम को अपने आदेश नियमों को ताक पर रखकर वापस ले लिए। इसी प्रकार वेद पाल सिंह अवर अभियंता का तबादला 6 मई को कर 21 मई को पुनः पुरानी जगह पर बहाली कर दी गई। इसके अलावा जेई संजय कुमार को 6 जून 22 को पुरानी तैनाती दी गई। जेई प्रशांत को 28/09/ 21 को हटाकर पुनः 21/9/21 को आदेश निरस्त किए गए। मजे की बात है कि अपने ही आदेश को निरस्त करते हुए एसई ने नियमों को ताक पर रख दिया। विद्युत खंड के तीन टीजी 2 के स्थानांतरण में भी अनियमितताएं मिली हैं। 3 अगस्त को जारी हुए स्थानांतरण आदेशों के कर्मियों से रुपये लेकर अधिकारी ने 25 अगस्त को निरस्त कर दिये। इसके अलावा लिपिक अनुज गर्ग का स्थानांतरण 15/6/22 को कर 10/8/22 को आदेश निरस्त कर दिये। वहीं देवेंद्र पाल को 17/12/21 को ट्रांसफर कर फिर 4 जनवरी 22 को पुरानी सीट पर भेज दिया। जांच में पता चला है कि एक ही सब डिवीजन में 10 साल से तैनात दो लिपिकों को हटाकर पुनः वही तैनाती दे दी गई। आरोपित एस ई ने बताया कि विभागीय कार्यों में लापरवाही के कारण कर्मियों को समय-समय पर हटाया जाता है। सूत्रों के अनुसार एस ई के खिलाफ शासन के निर्देश पर कार्रवाई को जायेगी।

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