...लेकिन इनको शर्म नहीं आती

पश्चिम बंगाल जहां बड़ी आबादी तन ढंकने को भी जद्दोकरती है, वहां नेताओं के घर से करोड़ो रुपये की नगदी की बरामदगी राजनीति को ही शर्मसार करती है। ये नेता भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर लोकतंत्र की जड़ें खोद रहे हैं। अपने चहेतों को क्लीन चिट देने के लिए कानूनों व नियमों में फेरबदल किए जाते हैं। राजनीति और भ्रष्टाचार अपने देश ही नहीं, वरन् समूची दुनिया में एक-दूसरे का पर्याय बन चुके हैं। आज देश में बढ़ते भ्रष्टाचार का प्रमुख कारण शीर्ष नेताओं का भ्रष्ट लोगों को संरक्षण देना भी है। बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार कभी भी किसी एक छुटभैया नेता के अकेले के बस की बात तो कतई नहीं है। हालिया मामला पश्चिम बंगाल राजनीतिक भष्टाचार के जरिए हासिल किए गए नोटों की बरामदगी से पूरे देश में चर्चा में है। यह देश के उन राज्यों में से एक है जहां अच्छी-खासी आबादी को भूख मिटाने की चिंता रहती है। इस राज्य के शिक्षा मंत्री जो ठीक तरीके से चल भी नहीं सकते, उनकी एक करीबी महिला मित्र के घर से अब तक करीब 50 करोड़ रुपए बरामद किए जा चुके हैं। सुना जा रहा है कि एक गरीब राज्य के लिए यह एक विरोधाभासी अनुभव है। पश्चिम बंगाल में आज भी हज़ारों लोग पेट की भूख मिटाने के लिए अपनी बेटियों को बेचने पर मजबूर हैं। प्रदेश के कई जिलों में गरीबी के कारण देह व्यापार का धंधा चल रहा है और उस गरीब राज्य में मंत्री की करीबी से करोड़ों रुपए निकल रहे हैं। पश्चिम बंगाल देश के आठ सबसे गरीब राज्यों में से एक है, जो स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर जैसे सामाजिक संकेतकों में बहुत पीछे है । महिला शोषण में भी यह राज्य पीछे नहीं है। जानकारी के अनुसार बंगाल के कई इलाके देह व्यापार के लिए मशहूर हैं। कोलकाता का सोनागाछी तो एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया है।  इस राज्य के हालात इतने गंभीर हैं कि लोग अपना पेट भरने के लिए चूहों को मारकर खा लेते हैं। पार्थ चटर्जी वर्ष 1998 की पहली जनवरी को तृणमूल कांग्रेस की स्थापना के समय एंड्रयू यूल की अपनी भारी-भरकम पैकेज वाली नौकरी छोडक़र राजनीति में आए तो उन्होंने टिप्पणी की थी, ‘मैं पैसे कमाने के लिए राजनीति में नहीं आया। अगर यही करना होता तो कॉर्पोरेट की इतनी बढिय़ा नौकरी क्यों छोड़ता?’ अब उसी पार्थ की महिला मित्र अर्पिता चटर्जी के अलग-अलग फ्लैट से 50 करोड़ से ज्यादा की नकदी और पांच करोड़ से ज्यादा के आभूषण और विदेशी मुद्रा की बरामदगी ने यह सवाल खड़ा किया है कि पार्थ का असली चेहरा कौन सा है? पहले हजारों करोड़ का चिटफंड घोटाला और अब शिक्षा घोटाले में सीधे ममता सरकार में नंबर दो रहे शिक्षा मंत्री की गिरफ्तारी इस बात का सबूत है कि बीते एक दशक या उससे कुछ लंबे अरसे में बंगाल में राजनीति की तस्वीर कैसे बदली है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस घोटाले के खुलासे से यह बात साफ हो गई है कि राजनीति में भ्रष्टाचार का तौर तरीका पहले के मुकाबले कितना बदल गया है। राजनीतिक भ्रष्टाचार के खुले खेल ने लोकतंत्र को खोखला कर दिया है। आज भी भारतीय लोकतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, लेकिन लोकतंत्र की आड़ में देश के कई हिस्सों में सावन के महीने में पानी की बरसात के साथ-साथ नोटों की बारिश होना इसकी सार्थकता पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए जनता का लामबंद होना भी जरूरी है।

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