पेट और विभागीय परीक्षा की अनिवार्यता समाप्त हो

भाजनपा जिलाध्यक्ष ने उठाई मांग

जौनपुर। अभी हाल में उत्तर प्रदेश सरकार के हवाले से प्रमुख सचिव बाल विकास एवं पुष्टाहार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं  की पदोन्नति हेतु अनिवार्य अर्हता से सम्बन्धित निर्देश जारी किया है। इसको लेकर प्रदेश भर की आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों में गहरा रोष व्याप्त है। यह रोष कभी भी आन्दोलन का स्वरूप ले सकता है।
भारतीय जननायक पार्टी के जिलाध्यक्ष सतीश चन्द्र शुक्ल सत्पथी ने विधानसभा सदस्य सांसद विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधियों  तथा बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की जिला एवं प्रदेश मुख्यालय पर पदस्थ नेतृत्व को पत्र लिखकर सरकार के इस नीतिगत निर्णय की कड़े शब्दों में आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के साथ खुला अन्याय और शोषण की दमनात्मक कार्यवाही है। सरकार को अपने निर्णय पर पुनः विचार करके कार्यकत्रियों के हितों की रक्षा के लिए पदोन्नति के नियमों को शिथिल सरल और आसान किया जाए।
उन्होंने कहा कि पदोन्नति का नियम सरल और पारदर्शी होना चाहिए। पचीस-तीस वर्षों से अत्यंत सीमित पारिश्रमिक पर काम करने वाली कार्यकत्रियों में अधिकांश सेवानिवृत्ति के कगार पर है कुछेक जो पदोन्नति कि अर्हता रखती हैं उनके लिए पूर्व मे बनायी गई पदोन्नति नीति में मेरिट और कार्य करने का अनुभव जोड़ने पर भी अधिकांश को अपने हक से वंचित होना पड़ जा रहा है।

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