अदालती प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है हस्तलेख: अभिषेक वशिष्ठ
अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश.उत्तराखंड का स्वाध्याय मंडल
मेरठ। अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश.उत्तराखंड वर्चुअल स्वाध्याय मंडल में हस्तलेख विधि की बारीकियों पर प्रकाश डाला गया। मुख्य वक्ता अभिषेक वशिष्ठ ने कहा कि इस विधि के अंतर्गत हस्तलेख का वैज्ञानिक परीक्षण आता है जिसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि कोई लेख किसी व्यक्ति विशेष का लिखा हुआ है या नहीं।
उन्होंने कहा कि हस्तलेख विशेषज्ञ प्राय: अक्षरों की बनावट को देखकर अपनी राय दिया करते हैं। भारत में इस विज्ञान के प्रथम विशेषज्ञ चार्ल्स आरण् हार्डलेस थे जो सन 1884 में कलकत्ते के तारघर में लिपिक थे। उनकी हस्तलेखन विज्ञान में दक्षता को देखकर 1980 में उनको भारत सरकार ने अपना हस्तलेख विशेषज्ञ नियुक्त किया था।
उन्होंने कहा कि लेखन की प्रक्रिया से इंसान की पहचान भी कर सकते हैं, क्योंकि लिखने का गुण सभी में अलग.अलग होता है। देखा जाए तो इंसान की लिखाई उसकी उंगलियों की छाप जैसी होती है जिसकी नकल करना बहुत ही कठिन कार्य होता हैए यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की लिखाई की नकल कर भी लेता है तो वह उसे सही प्रकार से नहीं लिख सकता है।
श्री वशिष्ठ ने कहा कि न्यायालय में यह विवाद बहुधा उठा करते हैं कि अमुख लेख किस व्यक्ति का लिखा हुआ है उन परिस्थितियों में हस्तलेख  विशेषज्ञों की विशेष आवश्यकता होती है। सामान्यत: न्यायालय में किसी अन्य व्यक्ति की राय को ग्राहय नहीं किया जाता है किंतु भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा.45 के अंतर्गत हस्तलेख विशेषज्ञ की राय ग्राह्य होती है।
कार्यक्रम का संचालन रुड़की के दीपक भारद्वाज एडवोकेट ने किया। सजीव प्रसारण में नरोत्तम कुमार गर्ग, प्रमोद कुमार त्यागी, चरण सिंह त्यागी, नरेंद्र चौहान, पदम सिंह, कोमल त्यागी, बिक्रम सिंह, राकेश, विशाल राणा, भूपेंद्र, राजीव शर्मा, मनोज गुप्ता, अंकुर शर्मा, पूनम, अलका, सविता त्यागी, आभा वर्मा, मीरा पाल, अमित खोखर, धर्मेंद्र वर्मा, प्रणव बंसल, परमवीर सिंह, अमित त्यागी, अमरनाथ मिश्रा समेत तमाम अधिवक्ता मौजूद रहे। 

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