कर्ज के नाम पर फर्जीवाड़ा

स्मार्ट फोन एप के जरिये कर्ज देकर लोगों से की जा रही जबरन उगाही के मामले बढ़ते जा रहे हैं। यह अपराध बहुत ही सुनियोजित तरीके से हो रहा है। फर्जी नामों और दस्तावेजों पर ढेर सारे फोन नंबर लिये जाते हैं तथा बैंकों में खाता खोला जाता है। धंधे को चलाने के लिए कॉल सेंटर तक बने हुए हैं। लोग मजबूरी में कर्ज के रूप में कुछ पैसा इन एप से लेते हैं, फिर उन्हें ब्लैकमेल कर पैसा ऐंठा जाता है। सामाजिक बदनामी के डर से बहुत से लोग पैसा देते भी हैं। उस धन को यह गिरोह हवाला और क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से चीन भेजता है। ऐसी कुछ शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस ने देशभर में कई लोगों को गिरफ्तार किया है, जो 500 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़ा में शामिल हैं। इस गिरोह का नियंत्रण चीन और हांगकांग से हो रहा था, जो सौ से भी अधिक एप के इस्तेमाल से लोगों की संवेदनशील सूचनाएं चुराकर चीन और हांगकांग में स्थित सर्वरों पर अपलोड करता था। दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के बाद इस गिरोह ने वसूली करने वाले कॉल सेंटर पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश स्थानांतरित कर दिया है। रिजर्व बैंक, पुलिस और जानकारों द्वारा लगातार हिदायत दी जाती रही है कि केवल अधिकृत बैंकों और संस्थाओं से ही कर्ज लेना चाहिए, फिर भी जागरूकता के अभाव में तथा पैसे की जरूरत से लाचार लोग ऑनलाइन धोखाधड़ी के जाल में फंस जाते हैं। यह अपराध ऑफलाइन भी चल रहा है। देशभर में गली-मुहल्लों में आधार कार्ड से कर्ज लेने और क्रेडिट कार्ड से नकदी निकालने के पोस्टर दुकानों पर देखे जा सकते हैं। ऐसे गिरोह लोगों के बैंक खातों और क्रेडिट कार्ड की जानकारियां चुराकर पैसे निकालते हैं। पहले फोन से होने वाले वित्तीय अपराध देश के भीतर से संचालित होते थे, पर अब यह मामला तकनीकी रूप से भी जटिल हुआ है तथा इसके जाल कई देशों तक फैल चुके हैं। अप्रैल में रिजर्व बैंक ने ऐसे 600 अवैध एप की पहचान की थी, जिनमें वे कुछ एप भी थे, जिन्हें सरकार ने प्रतिबंधित किया है। चूंकि मामला एप का है, तो पाबंदी लगाने के साथ गूगल व एप्पल जैसी उन तकनीकी कंपनियों पर भी दबाव बनाना चाहिए, जो इन एप को वितरित करते हैं। चीन, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और अन्य देशों से कूटनीतिक स्तर पर वार्ता कर अपराधियों पर लगाम लगाने का प्रयास होना चाहिए। पुलिसकर्मियों को भी प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है, जो लोग फर्जीवाड़े के पीड़ित हैं, उन्हें बेहिचक इसकी शिकायत दर्ज करानी चाहिए।

 (30-08-22)

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कर्ज के नाम पर फर्जीवाड़ा
स्मार्ट फोन एप के जरिये कर्ज देकर लोगों से की जा रही जबरन उगाही के मामले बढ़ते जा रहे हैं। यह अपराध बहुत ही सुनियोजित तरीके से हो रहा है। फर्जी नामों और दस्तावेजों पर ढेर सारे फोन नंबर लिये जाते हैं तथा बैंकों में खाता खोला जाता है। धंधे को चलाने के लिए कॉल सेंटर तक बने हुए हैं। लोग मजबूरी में कर्ज के रूप में कुछ पैसा इन एप से लेते हैं, फिर उन्हें ब्लैकमेल कर पैसा ऐंठा जाता है। सामाजिक बदनामी के डर से बहुत से लोग पैसा देते भी हैं। उस धन को यह गिरोह हवाला और क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से चीन भेजता है। ऐसी कुछ शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस ने देशभर में कई लोगों को गिरफ्तार किया है, जो 500 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़ा में शामिल हैं। इस गिरोह का नियंत्रण चीन और हांगकांग से हो रहा था, जो सौ से भी अधिक एप के इस्तेमाल से लोगों की संवेदनशील सूचनाएं चुराकर चीन और हांगकांग में स्थित सर्वरों पर अपलोड करता था। दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के बाद इस गिरोह ने वसूली करने वाले कॉल सेंटर पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश स्थानांतरित कर दिया है। रिजर्व बैंक, पुलिस और जानकारों द्वारा लगातार हिदायत दी जाती रही है कि केवल अधिकृत बैंकों और संस्थाओं से ही कर्ज लेना चाहिए, फिर भी जागरूकता के अभाव में तथा पैसे की जरूरत से लाचार लोग ऑनलाइन धोखाधड़ी के जाल में फंस जाते हैं। यह अपराध ऑफलाइन भी चल रहा है। देशभर में गली-मुहल्लों में आधार कार्ड से कर्ज लेने और क्रेडिट कार्ड से नकदी निकालने के पोस्टर दुकानों पर देखे जा सकते हैं। ऐसे गिरोह लोगों के बैंक खातों और क्रेडिट कार्ड की जानकारियां चुराकर पैसे निकालते हैं। पहले फोन से होने वाले वित्तीय अपराध देश के भीतर से संचालित होते थे, पर अब यह मामला तकनीकी रूप से भी जटिल हुआ है तथा इसके जाल कई देशों तक फैल चुके हैं। अप्रैल में रिजर्व बैंक ने ऐसे 600 अवैध एप की पहचान की थी, जिनमें वे कुछ एप भी थे, जिन्हें सरकार ने प्रतिबंधित किया है। चूंकि मामला एप का है, तो पाबंदी लगाने के साथ गूगल व एप्पल जैसी उन तकनीकी कंपनियों पर भी दबाव बनाना चाहिए, जो इन एप को वितरित करते हैं। चीन, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और अन्य देशों से कूटनीतिक स्तर पर वार्ता कर अपराधियों पर लगाम लगाने का प्रयास होना चाहिए। पुलिसकर्मियों को भी प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है, जो लोग फर्जीवाड़े के पीड़ित हैं, उन्हें बेहिचक इसकी शिकायत दर्ज करानी चाहिए।

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