साहित्यकारों ने किया प्रेमचंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण


प्रयागराज।कथा सम्राट और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुरातन छात्र रहे प्रेमचंद की जयंती पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिसर स्थित प्रतिमा पर रविवार को सुबह-सुबह माल्यार्पण-पुष्पार्पण किया गया।
इस अवसर पर वरिष्ठ कवि आलोचक प्रो. राजेंद्र कुमार, भूगोल विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.बीएन सिंह, मध्यकालीन-आधुनिक इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. आलोक प्रसाद, युवा समीक्षक डॉ. कुमार वीरेंद्र , रज्जू भैया विश्विद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आशुतोष कुमार सिंह, प्रयाग पथ के संपादक हितेश कुमार सिंह, मेरी लूकस स्कूल के हिंदी शिक्षक डॉ धारवेंद्र प्रताप त्रिपाठी ,इतिहास के डॉ. अनिल कुमार यादव, विनोद यादव, कौशाम्बी कॉलेज के प्राचार्य डॉ रवींद्र सिंह,पूर्व उप शिक्षा निदेशक बेसिक एस डी सिंह,पूर्व शिक्षा अधिकारी डॉ. वर्मा, डी तिवारी, प्रकाश कुमार, आशीष और अन्य उपस्थित रहे।
 माल्यार्पण के उपरांत विद्वानों ने अपने विचार रखे। प्रो.राजेंद्र कुमार ने कहा स्मृति ही साहित्य है। हम जो कुछ लिखते हैं वो हमारी स्मृति का ही अंश है।
प्रयाग पथ के संपादक हितेश कुमार सिंह ने कहा प्रेमचंद पहले ऐसे रचनाकार है जिन्होंने पाठक को राजा- रानियों की कथाओं से बाहर निकालकर यथार्थ का परिचय कराया।
डॉ. कुमार वीरेंद्र ने  कहा कि प्रेमचंद का प्रयाग से रिश्ता संवाद और विवाद दोनों का था,कुछ समय तक प्रयाग प्रेमचंद की कर्मभूमि रही है। डॉ. धारवेंद् त्रिपाठी ने उनकी रचनाओं का उल्लेख करते हुए आज की महत्वपूर्ण समस्याओं की ओर इशारा किया।
अवनीश यादव ने कहा कि प्रेमचंद के हृदय को देखना हो तो ईदगाह के हामिद को भर नज़र से देख लीजिए, उनके मस्तिष्क को समझना हो तो गोदान के होरी और उनका दृढ़ चरित्र देखना हो तो रंगभूमि के सूरदास को भीतर तक महसूस कर लीजिए। डॉ. दीनानाथ मौर्य और डॉ. अंशुमान कुशवाहा ने मंत्र कहानी के डॉ. चड्डा के चरित्र के माध्यम से आज के समाज पर बात रखी।

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