पहली बार हुआ मेडिकल में बिना चीर- फाड़ हृदय के अलिंद (एट्रियम) की दीवार (सेप्टल) के दोष का सफल ऑपरेशन 

Meerut-मेडिकल कॉलेज के मीडिया प्रभारी डॉ वी डी पाण्डेय ने बताया कि-एक सामान्य हृदय में, ऑक्सीजन विहीन रक्त दायें आलिंद (एट्रियम)में प्रवेश करता है और फिर वह दाये निलय (वेंट्रिकल) के द्वारा फेफडों में भेजा जाता है। फेफड़ों से ऑक्सीजन युक्त रक्त हृदय की बाएं आलिंद में प्रवेश करता है और बाएं निलय के माध्यम से सम्पूर्ण शरीर में प्रवाहित किया जाता है।


मानव हृदय में दो अलिंद होते हैं दोनों अलिंद को एक दीवार (सेप्टम) एक दूसरे से अलग करता है। हृदय के अलिंद की दीवार (सेप्टल) में पाये जाने वाले दोष को ठीक करने के लिए की जाने वाली शल्य प्रक्रिया को अलिंद दीवार (सेप्टल ) दोष सर्जरी के रूप में जाना जाता है। 


आज दिनाँक 07/06/22 को मेडिकल कॉलेज के सुपरस्पेशलिटी ब्लॉक स्थिति हृदय रोग विभाग की सह आचार्य डॉ मुनेश तोमर एवम उनकी टीम ने जनपद मेरठ निवासी 13 वर्षीया सोनिया जन्मजात अलिंद दीवार (सेप्टल ) दोष से ग्रसित थी। हृदय की इकोकार्डियोग्राफी जांच करने पर पता चला कि छेद बड़ा है। इस दोष को समाप्त करने के लिए बिना चीर फाड़ के डिवाइस क्लोजर विधि द्वारा दिल का छेद सफलता पूर्वक बन्द किया गया। मेडिकल कॉलेज में इस तरह की चिकित्सा पहली बार की गयी। मरीज अब स्वस्थ है और खतरे से बाहर है।


सोनिया के पिता नेबताया कि बच्ची के हृदय में छेद है इसका पता बहुत पहले लग गया था फिर हम उसे ले कर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली ले कर गए पर वह ऑपरेशन के लिए प्रतिक्षासूचि बहुत लम्बी है नम्बर नही आया। 

समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला कि इस तरह की शल्य चिकित्सा मेडिकल कॉलेज मेरठ में प्रारंभ हो चुकी है फिर हमने बच्ची को डा मुनेश तोमर को दिखाया और आज उन्होंने ऑपरेशन कर दिया मैं डॉ मुनेश तोमर और मेडिकल कॉलेज प्रशासन का बहुत आभार प्रकट करता हूँ।


मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ आर सी गुप्ता ने डॉ मुनेश तोमर एवम उनकी टीम तथा हृदय रोग विभाग को बधाई एवम शुभकामनाएं दीं।

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