नाटक से दिया प्रेम-सौहार्द का संदेश


चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में क्रांति दिवस की पूर्व संध्या पर कार्यक्रम आयोजित

स्वांगशाला एक्टिंग अकादमी के कलाकारों ने अभिनय से बांधा समां, समरेश बसु के प्रसिद्ध नाटक "काली रात के हमसफ़र" नाटक का मंचन किया

मेरठ। क्रांति दिवस की पूर्व संध्या पर  स्वांगशाला मेरठ के कलाकारों ने सांप्रदायिक सौहार्द पर केन्द्रित बंगाल के मशहूर लेखक समरेश बसु की कहानी "आदाब" पर आधारित नाटक काली रात के हमसफर की शानदार प्रस्तुति दी।चौधरी चरण सिंह विश्विद्यालय के उर्दू विभाग और स्वांगशाला एक्टिंग अकादमी के संयुक्त तत्वाधान में "एक शाम क्रांति दिवस के नाम" यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। 
नाटक  में बंगाल विभाजन के वक़्त की वो काली स्याह रात दिखाई गई जिसमें  सूत मज़दूर कृष्णा  और अब्दुल मांझी फंस जाते हैं। भय-रोमांच के ताने-बाने को लेकर बुने गए इस नाटक ने राजनीति पर तंज कसते हुए भाईचारे के साथ रहने की सीख दी। नाटक में दिखाया गया कि आतंकियों और गुंडों का कोई मज़हब नहीं होता। नाटक के एक-एक कलाकार के प्रस्तुतिकरण को  दर्शकों ने करतल ध्वनियों से सराहा। 
अब्दुल मांझी के किरदार को वरिष्ठ रंगकर्मी और स्वांगशाला एक्टिंग अकादमी के निदेशक भारत भूषण शर्मा और कृष्णा की भूमिका को वरिष्ठ रंगकर्मी  हेमंत गोयल ने जीवंत कर दिया। स्वांगशाला के निदेशक अनिल कुमार शर्मा ने संगीत के जरिए और वरिष्ठ रंगकर्मी जितेंद्र सी राज़ ने नाटक में जान फूंक दी ।
कट्टर हिंदूवादी के रूप में वरिष्ठ रंगकर्मी योगेश समदर्शी और कट्टर मुस्लिम के किरदार को सुनील सैनी ने बखूबी दर्शाया। नाटक की सूत्रधार स्वाति शर्मा रहीं। मेकअप और स्टेज डेकोरेशन आबिद सैफी ने खूबसूरती से संभाली। नाटक में लुटेरे के किरदार में जतिन और 
शादाब ने समां बांध दिया। नाटक के अन्य किरदारों में स्वांगशाला के साजिद व उर्दू विभाग के शमशाद, इमरान और फैजान दिखाई दिए।
स्वांगशाला एक्टिंग अकादमी की चेयरपर्सन डॉ. सुधा शर्मा ने कलाकारों की सराहना करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ असलम जमशेदपुरी ने नाटक को सामाजिक समरसता का परिचायक बताया। उन्होंने कहा कि यह सिलसिला जारी रहना चाहिए समाज और देश को एक सूत्र में पिरोने के लिए आज छोटे-छोटे मंचन की बहुत आवश्यकता है।

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