क्रांतिकारी स्वातंत्र्यवीर  विनायक दामोदर सावरकर के बलिदान की कहानी सुन भाव-विभोर हुए विद्यार्थी


वीर सावरकर जयंती के अवसर पर आईआईएमटी विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग और विश्व संवाद केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम आयोजित

मेरठ।आईआईएमटी विश्वविद्यालय के जनसंचार, फिल्म एंड टेलीविजन स्टडीज विभाग और विश्व संवाद केंद्र, मेरठ के संयुक्त तत्वावधान में वीर सावरकर की जयंती पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। युवा स्तम्भ लेखक और टिप्पणीकार अविनाश त्रिपाठी ने छात्रों को विनायक दामोदर सावरकर के बारे में विस्तार से बताते हुए उनके जीवन के संघर्ष को भी समझाया। वीर सावरकर के अलावा उनके दोनों भाईयों के स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष की कठिन कहानी ने छात्रों के रोंगटे खड़े कर दिए।

चढ़ गए जो पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का मोल, कलम आज उनकी जय बोल। भारत की स्वतंत्रता के संग्राम की दुंदुभी बजाने वाले पहले क्रांतिकारी, लंदन में बैरिस्टर की पढ़ाई पढ़ने के लिए पहुंचने से लेकर 1857 का स्वातंत्र्य समर के लेखक, कालापानी की कठिन जेल में दो जन्म आजीवन कारावास की सजा पाने वाले एकमात्र सेनानी से लेकर काला पानी उपन्यास के लेखक वीर विनायक दामोदर सावरकर का जन्म आजीवन संघर्षों से घिरा रहा। यहां तक कि उनकी मौत के छह दशक बाद भी सावरकर का नाम उनके सर्वोच्च बलिदान से ज्यादा उनके विवादों के लिए उनका नाम अखबारी सुर्खियों में घसीटा जा चुका है। हिन्दू महासभा और आजादी के संघर्ष के बाद भी मोहनदास करमचंद गांधी के अंत के बाद नाथूराम गोडसे के साथ-साथ वीर सावरकर का नाम जोड़ने की भी कोशिश की गई। गांधी की हत्या के बाद महाराष्ट्र के चितपावन ब्राह्मणों पर अत्याचारों का सच आम जनता तक पहुंचाने की सजा भी सावरकर को भुगतनी पड़ी।

पत्रकारिता के छात्रों को उनके जीवन के संघर्ष की सही कहानी पहुंचाने के लिए आईआईएमटी विश्वविद्यालय में वीर सावरकर की जयंती के अवसर पर अविनाश त्रिपाठी के जरिए विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। युवा कलमकार अविनाश त्रिपाठी ने छात्रों को वीर सावरकर के साथ-साथ उनके दोनों भाईयों के बलिदान के अनदेखे और अनसुने किस्से सुनाते हुए उनकी जीवनगाथा खोल कर रखी। उन्होंने छात्रों को आज के दौर की सियासी उदासीनता और 'को नृप होऊ हमें का हानी' वाली प्रवृत्ति से आगाह कराते हुए बताया कि इसी प्रवृत्ति की कीमत भारत ने सैंकड़ों सालों की गुलामी के तौर पर चुकाई है मगर अभी भी भारत की जनता का रवैया उसी ढर्रे पर पहुंच रहा है। 

विश्व संवाद केंद्र के मंत्री और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के निदेशक डॉ प्रशांत कुमार ने छात्रों को विश्व संवाद केंद्र के कार्यों की जानकारी दी। विश्व संवाद केंद्र के प्रखर वक्ता पंकज शर्मा और वेदव्रत जी ने भी छात्रों के सामने अपने विचार रखे। जनसंचार एवं फिल्म एंड टेलीविजन स्टडीज विभाग के डीन डॉ सुभाष चंद्र थलेड़ी ने आगंतुक अतिथियों का आभार जताते हुए सभी को धन्यवाद दिया और उम्मीद जताई कि विश्व संवाद केंद्र के साथ भविष्य में भी कार्यक्रम करने का सौभाग्य मिलेगा। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचार प्रमुख सुरेंद्र कुमार जी भी उपस्थित रहे। 
कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता की छात्रा सोनल ने किया। जनसंचार एवं फिल्म एंड टेलीविजन स्टडीज विभाग के प्रोफेसर  डॉ नरेंद्र कुमार मिश्रा, कार्यक्रम संयोजक विशाल शर्मा,  डॉ पृथ्वी सेंगर, डॉ विवेक सिंह, विभोर गौड़, सचिन गोस्वामी और निशान्त सागर ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग किया।

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